आर्मी कैंप से लापता शख्स को ढूंढ रहे 2000 जवान:मणिपुर के लीमाखोंग से 9 दिन गायब हैं लैशराम; ट्रैकर डॉग-ड्रोन भी सर्चिंग में जुटे
आर्मी कैंप से लापता शख्स को ढूंढ रहे 2000 जवान:मणिपुर के लीमाखोंग से 9 दिन गायब हैं लैशराम; ट्रैकर डॉग-ड्रोन भी सर्चिंग में जुटे
मणिपुर के लीमाखोंग कैंप से 25 नवंबर को लापता हुए 56 साल के लैशराम को सेना और पुलिस के 2000 जवान मिलकर खोज रहे हैं। मणिपुर पुलिस सोमवार को किए फेसबुक पोस्ट में बताया कि लैशराम का पता लगाने के लिए मणिपुर पुलिस हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और सेना के ट्रैकर कुत्तों की मदद ले रही है। इसके लिए टेक्नोलॉजी का सहारा भी लिया जा रहा है। लैशराम कमलबाबू के लापता होने पर सेकमाई पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई है। इसके बाद 30 नवंबर को CM बीरेन सिंह ने कहा था कि लापता शख्स सेना के अधिकारियों के लिए फर्नीचर बनाता था। वह सेना के कैंपस से गायब हुआ इसलिए सेना को ही उसे खोजने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इनर मणिपुर से कांग्रेस सांसद ए. बिमोल अकोईजाम ने भी मंगलवार को कहा, 'आर्मी कैंप से एक व्यक्ति के लापता होने का मामले पर मैंने मीडिया के जरिए अपील की थी। जब भी मुझे मौका मिलेगा मैं इस मुद्दे को उठाऊंगा'। जिस आर्मी कैंप से गायब हुए लैशराम, वह कुकी बहुल इलाका कांगपोकपी जिले में बना 57वें माउंटेन डिवीजन लीमाखोंग आर्मी कैंप राजधानी इंफाल से लगभग 16 किमी दूर है और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह एक कुकी बहुल इलाका है। लैशराम, अपने परिवार के साथ इंफाल पश्चिम के खुखरुल में रहते थे। पिछले साल मई में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद लीमाखोंग के पास रहने वाले मैतेई लोग भाग गए थे, जिनमें अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। क्या हुआ था 25 नवंबर को असम के कछार में उधारबोंड के गोसाईपुर रहने वाले लैशराम कमलबाबू सिंह, मेसर्स एल बिनोद कंस्ट्रक्शन में सुपरवाइजर के रूप में काम करते थे। लैशराम 25 नवंबर को रोज की तरह लीमाखोंग आर्मी कैंप के अंदर काम कर रहे थे। लेकिन उसके बाद लापता हो गए। 57 माउंटेन डिवीजन के गेट लॉग से पता चला कि वह कैंप में दाखिल हुए थे लेकिन बाहर नहीं निकले। सीसीटीवी फुटेज से यह साबित हुआ कि 25 नवंबर की सुबह करीब 9:15 बजे लैशराम कैंप में दाखिल हुए लेकिन उन्हें बाहर निकलते नहीं देखा गया। आमतौर पर लैशराम शाम 4 बजे तक घर लौट आते थे, लेकिन जब वह रात 8:30 बजे तक नहीं आए और फोन पर भी उनसे संपर्क नहीं हो पाया, तो उनके परिवार ने पुलिस को खबर की। लैशराम की खोज में देरी का विरोध, सड़कें जाम कीं सिंह के लापता होने के बाद विरोध में बनाई गई संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) ने सैन्य स्टेशन से लगभग 2.5 किमी दूर कांटो सबल में अपना धरना जारी रखा है। यहां सड़क पर बैरिकेडिंग की गई है। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि सिंह को कुकी उग्रवादियों ने किडनैप कर लिया है। लैशराम सिंह की पत्नी अकोईजम बेलारानी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं। जिरिबाम से अगवा किए 6 मैतेइयों की लाशें मिली थीं मुठभेड़ के कुछ समय बाद ही कुछ अन्य कुकी उग्रवादियों ने जिरिबाम के बोरोबेकरा रिलीफ कैंप पर हमला किया था। वे एक मैतेई परिवार के 6 लोगों को अगवा कर ले गए थे। इनमें 3 बच्चे और 3 महिलाएं शामिल थीं। करीब एक हफ्ते बाद 16 और 17 नवंबर को उनके शव जिरीबाम जिले की जिरी नदी और असम के कछार में बराक नदी में मिले थे। इनमें से 3 की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट 27 नवंबर को सामने आई थी, जिसमें दो बच्चे और एक महिला थे। रिपोर्ट से पता चला था कि तीनों की मौत शव मिलने (16-17 नवंबर) के 3 से 5 दिन पहले हुई थी। तीनों शवों पर गोलियों के निशान और गंभीर चोटें पाई गई थीं, लेकिन 10 महीने के बच्चे के साथ सबसे ज्यादा बर्बरता की गई थी। मणिपुर की सुरक्षा में CAPF की 288 कंपनियां तैनात मणिपुर की सुरक्षा में सेंट्रल आर्म्ड फोर्स की 288 कंपनियां तैनात की गई हैं। इनमें CRPF, SSB, असम राइफल, ITBP सहित दूसरी आर्म्ड फोर्स की कंपनियां शामिल हैं। मणिपुर के चीफ सिक्योरिटी एडवाइजर कुलदीप सिंह ने कहा था कि हमने पुख्ता इंतजाम किए हैं। कंपनियों को अलग-अलग जगह भेजा जा रहा है। हर जिले में नए कोऑर्डिनेशन सेल और जॉइंट कंट्रोल रूम तैयार किए जाएंगे। मणिपुर में दोबारा हालात क्यों बिगड़े मणिपुर में नवंबर में हुईं हिंसक घटनाएं ---------------------- ये खबर भी पढ़ें.... 10 कुकी उग्रवादियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई, ज्यादातर को पीछे से गोली मारी गई, 5 दिसंबर को अंतिम संस्कार 11 नवंबर को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 10 कुकी उग्रवादियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (PM रिपोर्ट) सामने आ गई है। इसमें पता चला है कि ज्यादातर को पीछे से गोली मारी गई थी। सभी के सिर से लेकर पैर तक पूरे शरीर में गोलियां लगी हैं। कुछ को 10 से ज्यादा गोलियां लगी हैं। इसके अलावा उनके शरीर पर कोई अन्य घाव या टॉर्चर के निशान नहीं हैं। हालांकि, चार शवों की एक-एक आंख गायब है। इनका अंतिम संस्कार 5 दिसंबर को किया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर...
मणिपुर के लीमाखोंग कैंप से 25 नवंबर को लापता हुए 56 साल के लैशराम को सेना और पुलिस के 2000 जवान मिलकर खोज रहे हैं। मणिपुर पुलिस सोमवार को किए फेसबुक पोस्ट में बताया कि लैशराम का पता लगाने के लिए मणिपुर पुलिस हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और सेना के ट्रैकर कुत्तों की मदद ले रही है। इसके लिए टेक्नोलॉजी का सहारा भी लिया जा रहा है। लैशराम कमलबाबू के लापता होने पर सेकमाई पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई है। इसके बाद 30 नवंबर को CM बीरेन सिंह ने कहा था कि लापता शख्स सेना के अधिकारियों के लिए फर्नीचर बनाता था। वह सेना के कैंपस से गायब हुआ इसलिए सेना को ही उसे खोजने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इनर मणिपुर से कांग्रेस सांसद ए. बिमोल अकोईजाम ने भी मंगलवार को कहा, 'आर्मी कैंप से एक व्यक्ति के लापता होने का मामले पर मैंने मीडिया के जरिए अपील की थी। जब भी मुझे मौका मिलेगा मैं इस मुद्दे को उठाऊंगा'। जिस आर्मी कैंप से गायब हुए लैशराम, वह कुकी बहुल इलाका कांगपोकपी जिले में बना 57वें माउंटेन डिवीजन लीमाखोंग आर्मी कैंप राजधानी इंफाल से लगभग 16 किमी दूर है और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह एक कुकी बहुल इलाका है। लैशराम, अपने परिवार के साथ इंफाल पश्चिम के खुखरुल में रहते थे। पिछले साल मई में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद लीमाखोंग के पास रहने वाले मैतेई लोग भाग गए थे, जिनमें अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। क्या हुआ था 25 नवंबर को असम के कछार में उधारबोंड के गोसाईपुर रहने वाले लैशराम कमलबाबू सिंह, मेसर्स एल बिनोद कंस्ट्रक्शन में सुपरवाइजर के रूप में काम करते थे। लैशराम 25 नवंबर को रोज की तरह लीमाखोंग आर्मी कैंप के अंदर काम कर रहे थे। लेकिन उसके बाद लापता हो गए। 57 माउंटेन डिवीजन के गेट लॉग से पता चला कि वह कैंप में दाखिल हुए थे लेकिन बाहर नहीं निकले। सीसीटीवी फुटेज से यह साबित हुआ कि 25 नवंबर की सुबह करीब 9:15 बजे लैशराम कैंप में दाखिल हुए लेकिन उन्हें बाहर निकलते नहीं देखा गया। आमतौर पर लैशराम शाम 4 बजे तक घर लौट आते थे, लेकिन जब वह रात 8:30 बजे तक नहीं आए और फोन पर भी उनसे संपर्क नहीं हो पाया, तो उनके परिवार ने पुलिस को खबर की। लैशराम की खोज में देरी का विरोध, सड़कें जाम कीं सिंह के लापता होने के बाद विरोध में बनाई गई संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) ने सैन्य स्टेशन से लगभग 2.5 किमी दूर कांटो सबल में अपना धरना जारी रखा है। यहां सड़क पर बैरिकेडिंग की गई है। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि सिंह को कुकी उग्रवादियों ने किडनैप कर लिया है। लैशराम सिंह की पत्नी अकोईजम बेलारानी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं। जिरिबाम से अगवा किए 6 मैतेइयों की लाशें मिली थीं मुठभेड़ के कुछ समय बाद ही कुछ अन्य कुकी उग्रवादियों ने जिरिबाम के बोरोबेकरा रिलीफ कैंप पर हमला किया था। वे एक मैतेई परिवार के 6 लोगों को अगवा कर ले गए थे। इनमें 3 बच्चे और 3 महिलाएं शामिल थीं। करीब एक हफ्ते बाद 16 और 17 नवंबर को उनके शव जिरीबाम जिले की जिरी नदी और असम के कछार में बराक नदी में मिले थे। इनमें से 3 की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट 27 नवंबर को सामने आई थी, जिसमें दो बच्चे और एक महिला थे। रिपोर्ट से पता चला था कि तीनों की मौत शव मिलने (16-17 नवंबर) के 3 से 5 दिन पहले हुई थी। तीनों शवों पर गोलियों के निशान और गंभीर चोटें पाई गई थीं, लेकिन 10 महीने के बच्चे के साथ सबसे ज्यादा बर्बरता की गई थी। मणिपुर की सुरक्षा में CAPF की 288 कंपनियां तैनात मणिपुर की सुरक्षा में सेंट्रल आर्म्ड फोर्स की 288 कंपनियां तैनात की गई हैं। इनमें CRPF, SSB, असम राइफल, ITBP सहित दूसरी आर्म्ड फोर्स की कंपनियां शामिल हैं। मणिपुर के चीफ सिक्योरिटी एडवाइजर कुलदीप सिंह ने कहा था कि हमने पुख्ता इंतजाम किए हैं। कंपनियों को अलग-अलग जगह भेजा जा रहा है। हर जिले में नए कोऑर्डिनेशन सेल और जॉइंट कंट्रोल रूम तैयार किए जाएंगे। मणिपुर में दोबारा हालात क्यों बिगड़े मणिपुर में नवंबर में हुईं हिंसक घटनाएं ---------------------- ये खबर भी पढ़ें.... 10 कुकी उग्रवादियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई, ज्यादातर को पीछे से गोली मारी गई, 5 दिसंबर को अंतिम संस्कार 11 नवंबर को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 10 कुकी उग्रवादियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (PM रिपोर्ट) सामने आ गई है। इसमें पता चला है कि ज्यादातर को पीछे से गोली मारी गई थी। सभी के सिर से लेकर पैर तक पूरे शरीर में गोलियां लगी हैं। कुछ को 10 से ज्यादा गोलियां लगी हैं। इसके अलावा उनके शरीर पर कोई अन्य घाव या टॉर्चर के निशान नहीं हैं। हालांकि, चार शवों की एक-एक आंख गायब है। इनका अंतिम संस्कार 5 दिसंबर को किया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर...