पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन करना जरूरी है
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन करना जरूरी है
भारत के अनेक नगरों में धार्मिक होने की, धर्म स्थलों के निर्माण की, धार्मिक गतिविधियों की बाढ़ आ गई है। कुछ नगर तो पहले से ही तीर्थ थे। अब वो पर्यटन स्थल भी बन गए। इससे एक नई बात आई कि इन धार्मिक शहरों के स्थानीय नागरिक अलग ढंग से परेशान हो रहे हैं। कोई नगर धार्मिक रूप से विकसित होता है, तो पर्यटन, व्यापार आदि के लाभ की बात कही जाती है। लेकिन इसके साथ-साथ कुछ असुविधाएं, परेशानियां भी लोगों को पेश आती हैं, उन पर भी विचार किया जाना चाहिए। अधिकांश धार्मिक नगरों के स्थानीय निवासी यातायात, भीड़-भाड़ में फंस रहे हैं। ऐसे शहरों को लेकर सरकारें और अधिकारी नित-नए प्रयोग करते हैं। भीड़ प्रबंधन, यातायात व्यवस्था, किसी भी धार्मिक स्थल के प्राण होते जा रहे हैं, और अधिकांश व्यवस्थापक इसके प्रति लापरवाह हैं। इससे धार्मिक भावनाओं को धक्का लग ही रहा है, पर कुछ लोग उदास भी हो रहे हैं। क्या ईश्वर के दर्शन, तीर्थ यात्राएं अब चुनौती बनती जा रही हैं?
भारत के अनेक नगरों में धार्मिक होने की, धर्म स्थलों के निर्माण की, धार्मिक गतिविधियों की बाढ़ आ गई है। कुछ नगर तो पहले से ही तीर्थ थे। अब वो पर्यटन स्थल भी बन गए। इससे एक नई बात आई कि इन धार्मिक शहरों के स्थानीय नागरिक अलग ढंग से परेशान हो रहे हैं। कोई नगर धार्मिक रूप से विकसित होता है, तो पर्यटन, व्यापार आदि के लाभ की बात कही जाती है। लेकिन इसके साथ-साथ कुछ असुविधाएं, परेशानियां भी लोगों को पेश आती हैं, उन पर भी विचार किया जाना चाहिए। अधिकांश धार्मिक नगरों के स्थानीय निवासी यातायात, भीड़-भाड़ में फंस रहे हैं। ऐसे शहरों को लेकर सरकारें और अधिकारी नित-नए प्रयोग करते हैं। भीड़ प्रबंधन, यातायात व्यवस्था, किसी भी धार्मिक स्थल के प्राण होते जा रहे हैं, और अधिकांश व्यवस्थापक इसके प्रति लापरवाह हैं। इससे धार्मिक भावनाओं को धक्का लग ही रहा है, पर कुछ लोग उदास भी हो रहे हैं। क्या ईश्वर के दर्शन, तीर्थ यात्राएं अब चुनौती बनती जा रही हैं?