भास्कर की खबर पर मुहर, फडणवीस होंगे महाराष्ट्र के CM:9 दिन पहले ही बता दिया था कि शिंदे को CM नहीं बनाएंगे, क्या है BJP का अगला प्लान
भास्कर की खबर पर मुहर, फडणवीस होंगे महाराष्ट्र के CM:9 दिन पहले ही बता दिया था कि शिंदे को CM नहीं बनाएंगे, क्या है BJP का अगला प्लान
देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के CM बनेंगे। मुख्यमंत्री पद के लिए चल रही रस्साकशी के बीच दैनिक भास्कर ने 25 नवंबर को ही बता दिया था कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा। देवेंद्र फडणवीस पहले भी दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इस बार BJP ने महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 132 सीटें जीती हैं। इसका श्रेय फडणवीस को ही दिया जा रहा है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 11 दिन बाद 4 दिसंबर को CM पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम का ऐलान किया गया। BJP के पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और विजय रूपाणी की मौजूदगी में उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया। वे गुरुवार, 5 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक सोर्स ने दैनिक भास्कर को बताया था कि RSS और BJP ने राज्य में सरकार चलाने का फॉर्मूला तय किया है। पहले ढाई साल फडणवीस और अगले ढाई साल शिवसेना चीफ एकनाथ शिंदे CM रहेंगे। CM पद छोड़ने के बाद फडणवीस को BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा। सोर्स के मुताबिक, BJP और RSS ने मिलकर फडणवीस की भूमिका तय की है। फडणवीस को BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर पार्टी हाईकमान और RSS राजी हैं। हमने ये स्टोरी 25 नवंबर को पब्लिश की थी, आज इसे दोबारा पब्लिश कर रहे हैं। BJP-RSS से फडणवीस का एक जैसा कोऑर्डिनेशन, इसलिए बड़ी जिम्मेदारी
RSS के सोर्स बताते हैं कि देवेंद्र फडणवीस को CM बनाने पर संघ प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में सहमति बन गई है। इसकी बड़ी वजह फडणवीस का दोनों संगठनों में एक जैसा कोऑर्डिनेशन है। अगर ढाई साल से पहले फडणवीस को BJP का अध्यक्ष बनाया जाता है, तो उनकी जगह पार्टी के महासचिव विनोद तावड़े या पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को CM बनाया जा सकता है। ये तय है कि ढाई साल से पहले एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री नहीं बनने वाले हैं। देवेंद्र फडणवीस नागपुर साउथ-वेस्ट सीट से चुनाव जीते हैं। इस सीट से ये उनकी लगातार चौथी जीत है। देवेंद्र फडणवीस ने कांग्रेस के प्रफुल्ल गुडधे को हराया है। 2014 में भी यही दोनों आमने-सामने थे। उस वक्त फडणवीस 58,942 वोट से जीते थे। 2019 में कांग्रेस ने कैंडिडेट बदला और आशीष देशमुख को टिकट दिया। देवेंद्र फडणवीस तब 49,344 वोट से जीते थे। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो गया था। सूत्रों के मुताबिक, एक मुख्यमंत्री और 2 डिप्टी CM का फॉर्मूला तय हो चुका है। सरकार में शामिल पार्टियों को हर 6-7 विधायक पर एक मंत्री पद मिलेगा। इस हिसाब से BJP के 22-24, शिवसेना (शिंदे गुट) के 10-12 और NCP (अजित गुट) के 8-10 विधायक मंत्री बन सकते हैं। BJP की जीत की इनसाइड स्टोरी RSS ने लोकसभा चुनाव की नाराजगी भुलाई, प्रचार अपने हाथ में लिया
विधानसभा चुनाव और BJP की बड़ी जीत में RSS के रोल पर हमने संघ से जुड़े दिलीप देवधर से बात की। दिलीप देवधर थोड़ा पीछे जाकर शुरुआत करते हैं। वे बताते हैं, ‘लोकसभा चुनाव से पहले BJP के बड़े नेताओं की तरफ से ऐसे बयान आ रहे थे कि पार्टी को चुनाव जीतने के लिए RSS की जरूरत नहीं है। इस पर RSS ने कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन खुद को लोकसभा चुनाव से लगभग अलग कर लिया।’ ‘RSS ने BJP को आगाह किया था कि भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति हो सकती है। तब जवाब मिला कि RSS बिना वजह पैनिक हो रहा है। इसके बाद 10 मई को PM मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बीच मीटिंग हुई। उसमें BJP के 350 से 400 सीटें जीतने की बात कही गई।’ उसी दौरान 21 मई, 2024 को BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि 'शुरुआत में हम कम सक्षम थे। तब हमें RSS की जरूरत पड़ती थी। अब हम सक्षम हैं। आज BJP खुद अपने आप को चलाती है।' इसके बाद RSS लोकसभा चुनाव में एक्टिव नहीं हुआ। 4 जून, 2024 को रिजल्ट आया तो RSS का डर सही साबित हुआ। BJP को सिर्फ 240 सीटें मिलीं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगर हम 220 सीटें जीत जाते, तो सरकार बना लेते। रिजल्ट के बाद BJP को समझ आया कि उसने कहां गलती की। BJP ने RSS से कॉन्टैक्ट किया और पहले हरियाणा, फिर महाराष्ट्र चुनाव की रणनीति पर काम शुरू किया। इसी दौरान केरल में RSS की समन्वय समिति की बैठक हुई, जिसमें BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। उन्होंने RSS के 32 संगठनों के साथ बैठकर मतभेद दूर किए। इस बैठक के बाद RSS ने महाराष्ट्र में काम करना शुरू किया। 32 संगठनों की 4 महीने तक तैयारी, डेढ़ लाख मंदिरों तक पहुंचा RSS
दिलीप देवधर बताते हैं कि RSS ने BJP का पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया। फुल कंट्रोल हाथ में लेने का मतलब है कि पहले फडणवीस को BJP आलाकमान से निर्देश मिलते थे, फिर RSS ने भी निर्देश देना शुरू कर दिया। यही कोऑर्डिनेशन आज भी चल रहा है। इसके अलावा RSS ने अपने 32 संगठनों को लोगों के बीच एक्टिव किया। हिंदी कैलेंडर के मुताबिक, चार महीनों को 'उत्सव माह' मानते हुए हर हिंदू त्योहार को ऑर्गनाइज्ड ढंग से मनाया। इनमें गणपति उत्सव, कोजागरी उत्सव, दिवाली पहाट जैसे उत्सव महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर मनाए गए। दिवाली पर गरीब परिवारों में मिठाइयां और कपड़े बांटकर उन्हें अपने साथ जोड़ा। अमीर परिवारों से चंदा लेकर उन्हें गरीबों के साथ जोड़ा। महाराष्ट्र में डेढ़ लाख से ज्यादा मंदिर हैं। हर मंदिर में प्रवचन शुरू किए। इसके जरिए लोगों को जागरूक किया। RSS की ओर से निर्देश था कि कोई भी संगठन मंदिरों पर हावी नहीं होगा, बल्कि उनके कार्यक्रम में शामिल होना है। एक लाख महिला लीडर्स को उतारा, हिंदू धर्म मानने वाली जातियों में पैठ बनाई
दिलीप देवधर के मुताबिक, RSS के 32 संगठन पूरे महाराष्ट्र में हर हफ्ते अलग-अलग एक्टिविटी करते रहे। इसमें कीर्तन, भोजन, स्पोर्ट्स एक्टिविटी, वर्कशॉप और उत्सव शामिल थे। इन इवेंट्स के जरिए BJP के मुद्दे लोगों तक पहुंचाए गए। इसके अलावा एक लाख से ज्यादा महिला लीडर्स को उतारा। उन्होंने महिलाओं के बीच जाकर BJP सरकार
देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के CM बनेंगे। मुख्यमंत्री पद के लिए चल रही रस्साकशी के बीच दैनिक भास्कर ने 25 नवंबर को ही बता दिया था कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा। देवेंद्र फडणवीस पहले भी दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इस बार BJP ने महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 132 सीटें जीती हैं। इसका श्रेय फडणवीस को ही दिया जा रहा है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 11 दिन बाद 4 दिसंबर को CM पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम का ऐलान किया गया। BJP के पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और विजय रूपाणी की मौजूदगी में उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया। वे गुरुवार, 5 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक सोर्स ने दैनिक भास्कर को बताया था कि RSS और BJP ने राज्य में सरकार चलाने का फॉर्मूला तय किया है। पहले ढाई साल फडणवीस और अगले ढाई साल शिवसेना चीफ एकनाथ शिंदे CM रहेंगे। CM पद छोड़ने के बाद फडणवीस को BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा। सोर्स के मुताबिक, BJP और RSS ने मिलकर फडणवीस की भूमिका तय की है। फडणवीस को BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर पार्टी हाईकमान और RSS राजी हैं। हमने ये स्टोरी 25 नवंबर को पब्लिश की थी, आज इसे दोबारा पब्लिश कर रहे हैं। BJP-RSS से फडणवीस का एक जैसा कोऑर्डिनेशन, इसलिए बड़ी जिम्मेदारी
RSS के सोर्स बताते हैं कि देवेंद्र फडणवीस को CM बनाने पर संघ प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में सहमति बन गई है। इसकी बड़ी वजह फडणवीस का दोनों संगठनों में एक जैसा कोऑर्डिनेशन है। अगर ढाई साल से पहले फडणवीस को BJP का अध्यक्ष बनाया जाता है, तो उनकी जगह पार्टी के महासचिव विनोद तावड़े या पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को CM बनाया जा सकता है। ये तय है कि ढाई साल से पहले एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री नहीं बनने वाले हैं। देवेंद्र फडणवीस नागपुर साउथ-वेस्ट सीट से चुनाव जीते हैं। इस सीट से ये उनकी लगातार चौथी जीत है। देवेंद्र फडणवीस ने कांग्रेस के प्रफुल्ल गुडधे को हराया है। 2014 में भी यही दोनों आमने-सामने थे। उस वक्त फडणवीस 58,942 वोट से जीते थे। 2019 में कांग्रेस ने कैंडिडेट बदला और आशीष देशमुख को टिकट दिया। देवेंद्र फडणवीस तब 49,344 वोट से जीते थे। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो गया था। सूत्रों के मुताबिक, एक मुख्यमंत्री और 2 डिप्टी CM का फॉर्मूला तय हो चुका है। सरकार में शामिल पार्टियों को हर 6-7 विधायक पर एक मंत्री पद मिलेगा। इस हिसाब से BJP के 22-24, शिवसेना (शिंदे गुट) के 10-12 और NCP (अजित गुट) के 8-10 विधायक मंत्री बन सकते हैं। BJP की जीत की इनसाइड स्टोरी RSS ने लोकसभा चुनाव की नाराजगी भुलाई, प्रचार अपने हाथ में लिया
विधानसभा चुनाव और BJP की बड़ी जीत में RSS के रोल पर हमने संघ से जुड़े दिलीप देवधर से बात की। दिलीप देवधर थोड़ा पीछे जाकर शुरुआत करते हैं। वे बताते हैं, ‘लोकसभा चुनाव से पहले BJP के बड़े नेताओं की तरफ से ऐसे बयान आ रहे थे कि पार्टी को चुनाव जीतने के लिए RSS की जरूरत नहीं है। इस पर RSS ने कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन खुद को लोकसभा चुनाव से लगभग अलग कर लिया।’ ‘RSS ने BJP को आगाह किया था कि भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति हो सकती है। तब जवाब मिला कि RSS बिना वजह पैनिक हो रहा है। इसके बाद 10 मई को PM मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बीच मीटिंग हुई। उसमें BJP के 350 से 400 सीटें जीतने की बात कही गई।’ उसी दौरान 21 मई, 2024 को BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि 'शुरुआत में हम कम सक्षम थे। तब हमें RSS की जरूरत पड़ती थी। अब हम सक्षम हैं। आज BJP खुद अपने आप को चलाती है।' इसके बाद RSS लोकसभा चुनाव में एक्टिव नहीं हुआ। 4 जून, 2024 को रिजल्ट आया तो RSS का डर सही साबित हुआ। BJP को सिर्फ 240 सीटें मिलीं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगर हम 220 सीटें जीत जाते, तो सरकार बना लेते। रिजल्ट के बाद BJP को समझ आया कि उसने कहां गलती की। BJP ने RSS से कॉन्टैक्ट किया और पहले हरियाणा, फिर महाराष्ट्र चुनाव की रणनीति पर काम शुरू किया। इसी दौरान केरल में RSS की समन्वय समिति की बैठक हुई, जिसमें BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। उन्होंने RSS के 32 संगठनों के साथ बैठकर मतभेद दूर किए। इस बैठक के बाद RSS ने महाराष्ट्र में काम करना शुरू किया। 32 संगठनों की 4 महीने तक तैयारी, डेढ़ लाख मंदिरों तक पहुंचा RSS
दिलीप देवधर बताते हैं कि RSS ने BJP का पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया। फुल कंट्रोल हाथ में लेने का मतलब है कि पहले फडणवीस को BJP आलाकमान से निर्देश मिलते थे, फिर RSS ने भी निर्देश देना शुरू कर दिया। यही कोऑर्डिनेशन आज भी चल रहा है। इसके अलावा RSS ने अपने 32 संगठनों को लोगों के बीच एक्टिव किया। हिंदी कैलेंडर के मुताबिक, चार महीनों को 'उत्सव माह' मानते हुए हर हिंदू त्योहार को ऑर्गनाइज्ड ढंग से मनाया। इनमें गणपति उत्सव, कोजागरी उत्सव, दिवाली पहाट जैसे उत्सव महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर मनाए गए। दिवाली पर गरीब परिवारों में मिठाइयां और कपड़े बांटकर उन्हें अपने साथ जोड़ा। अमीर परिवारों से चंदा लेकर उन्हें गरीबों के साथ जोड़ा। महाराष्ट्र में डेढ़ लाख से ज्यादा मंदिर हैं। हर मंदिर में प्रवचन शुरू किए। इसके जरिए लोगों को जागरूक किया। RSS की ओर से निर्देश था कि कोई भी संगठन मंदिरों पर हावी नहीं होगा, बल्कि उनके कार्यक्रम में शामिल होना है। एक लाख महिला लीडर्स को उतारा, हिंदू धर्म मानने वाली जातियों में पैठ बनाई
दिलीप देवधर के मुताबिक, RSS के 32 संगठन पूरे महाराष्ट्र में हर हफ्ते अलग-अलग एक्टिविटी करते रहे। इसमें कीर्तन, भोजन, स्पोर्ट्स एक्टिविटी, वर्कशॉप और उत्सव शामिल थे। इन इवेंट्स के जरिए BJP के मुद्दे लोगों तक पहुंचाए गए। इसके अलावा एक लाख से ज्यादा महिला लीडर्स को उतारा। उन्होंने महिलाओं के बीच जाकर BJP सरकार के फायदे बताए। हिंदू धर्म मानने वाली सभी जातियों में पैठ बनाई। महाराष्ट्र में कुनबी, मराठा, माली, SC-ST और आदिवासी समाज के लोगों को एकजुट किया। ‘एक साथ आओ, हिंदुत्व के लिए एकजुट हो जाओ’ नाम से अभियान चलाया। दिलीप देवधर बताते हैं, ‘जिला, तहसील लेवल पर सभी 32 संगठनों के कार्यकर्ता एक-दूसरे से मिलते थे और अपने काम का रिव्यू करते थे। चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट के लोग भी उनके साथ काम करते थे।’ पोलिंग बूथ का मैनेजमेंट भी RSS के कार्यकर्ताओं ने संभाला
दिलीप देवधर बताते हैं, ‘BJP की पोलिंग बूथ व्यवस्था RSS के कार्यकर्ताओं ने अपने हाथ में ले ली। किस बूथ से कितने वोट पड़े, कौन वोट देने नहीं गया, किस परिवार में कौन पीछे रह गया, इस पर स्वयंसेवकों ने बारीकी से नजर रखी।’ लोकसभा चुनाव की हार से सबक लेते हुए RSS ने बंटेंगे तो कटेंगे का नारा घर-घर तक पहुंचाया। लोगों से कहा कि वे वोट करते समय बंटेंगे तो कटेंगे और एक हैं तो सेफ हैं जैसे नारे का ध्यान रखें। RSS ने चुनावों में लैंड जिहाद, लव जिहाद, धर्मांतरण और दंगे का मुद्दा उठाया। एक तरफ हिंदुत्व का मुद्दा उठाया तो दूसरी तरफ संविधान, आरक्षण, अनुसूचित जाति को लेकर दलितों और पिछड़े समुदायों के बीच फैलाई गई भ्रांतियों को दूर किया। सोशल मीडिया ग्रुप के जरिए हिंदुत्व का प्रचार किया गया। PM को सलाह- भटकती आत्मा जैसे बयान देने से बचें
दिलीप देवधर बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने उद्धव ठाकरे और शरद पवार पर कमेंट किए थे। शरद पवार को भटकती आत्मा बताने का निगेटिव इंपैक्ट हुआ था। ऐसा दोबारा न हो इसके लिए RSS ने शरद पवार या उद्धव ठाकरे के खिलाफ कमेंट से बचने के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने ये सलाह मानी भी। लोकसभा चुनाव के नतीजे देखते हुए प्रधानमंत्री विधानसभा चुनाव में बहुत एक्टिव नहीं रहे। उन्होंने महाराष्ट्र में सिर्फ 10 सभाएं कीं। उनसे ज्यादा सभाएं योगी आदित्यनाथ ने की हैं। योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र में 11 रैलियां कीं, सभी जगह महायुति के कैंडिडेट जीते हैं। महाविकास अघाड़ी की हार के बाद NCP (SP) के चीफ शरद पवार ने भी माना कि योगी आदित्यनाथ के दिए नारे बंटेंगे तो कटेंगे की वजह से ध्रुवीकरण हुआ। अतुल लिमये ने संभाली मराठा समुदाय को मनाने की जिम्मेदारी
RSS से जुड़े एक सूत्र बताते हैं कि महायुति की जीत में RSS के महासचिव अतुल लिमये की बड़ी भूमिका रही। 54 साल के लिमये कभी इंजीनियर थे और 30 साल पहले मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर RSS के प्रचारक बन गए थे। अतुल लिमये महाराष्ट्र में महायुति-RSS के अभियान के मुख्य समन्वयक थे। अतुल लिमये ने मराठा आरक्षण आंदोलन और इसकी जटिलताओं की स्टडी की। उन्होंने समुदाय के नेताओं का भरोसा हासिल करने, OBC वोट बैंक को BJP के पाले में करने और RSS की विचारधारा के मुताबिक मतदाताओं को एकजुट करने के लिए जमीनी स्तर पर काम किया। अतुल लिमये ने तय किया कि BJP अपने अभियान के दौरान मराठा समुदाय को दरकिनार न करे। उनकी टीम ने राज्य के मराठा नेताओं से मुलाकात की। उन्हें भरोसा दिया कि BJP मराठा समुदाय को आरक्षण का समर्थन करती है। लिमये और उनकी टीम ने वादा किया कि वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट और मोदी सरकार के सामने उठाएंगे। एक्सपर्ट बोले- RSS साइलेंट वर्कर, BJP की जीत तय की
सीनियर जर्नलिस्ट संदीप सोनवलकर भी कहते हैं, ‘इस चुनाव में RSS पूरी तरह से जमीन पर उतरा। लोकसभा चुनाव में BJP का जो वोटर वोट देने नहीं निकला, उसे RSS ने बूथ तक पहुंचाया। उसने करीब 60 हजार कार्यकर्ता ग्राउंड पर उतारे। लगभग 12 हजार छोटी-बड़ी बैठकें कीं। सोसाइटियों के अंदर ही कार्यकर्ताओं ने अपनी कुर्सी-टेबल लगाई।’ ‘RSS ने उन सीटों पर भी फोकस किया, जहां BJP की जीत तय थी। RSS जिस साइलेंट वर्कर की भूमिका के लिए जाना जाता है, वो इस चुनाव में देखने को मिली। RSS ने BJP के लिए हर तरह से वोट मांगे, जो नतीजों में साफ दिख रहा है।’ ...................................... महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों पर ये स्टोरी भी पढ़ें... BJP+ मैनेजमेंट से जीती, कांग्रेस+ को ओवरकॉन्फिडेंस ले डूबा BJP, शिवसेना (शिंदे गुट) और NCP (अजित पवार) ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 230 सीटों पर जीत हासिल की है। 1972 के बाद ये पहला मौका है, जब किसी अलायंस को इतना बड़ा मैंडेट मिला है। चुनाव से 4 महीने पहले शुरू की गई महायुति सरकार की 'लाडकी बहिन योजना' गेम चेंजर बनी। इस चुनाव में BJP के माइक्रोमैनेजमेंट ने कामयाबी दिलाई। पढ़िए पूरी खबर... महाराष्ट्र चुनाव में किनारे लगे उद्धव और शरद; लोकसभा के बाद बाजी पलटने वाले 5 फैक्टर्स महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में BJP की जीत असाधारण है। 5 महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे देखकर इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था। महाराष्ट्र के लोकसभा चुनावों को विधानसभावार कंवर्ट करें, तो कांग्रेस ने 63 सीटें जीती थीं, जो अब 16 सीटों पर सिमट गई। वहीं, इस हिसाब से BJP 79 से बढ़कर 132 सीटों पर पहुंच गई। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...