पॉजिटिव स्टोरी- जॉब छोड़कर एस्ट्रोलॉजर बनीं:सालाना कमाई 50 लाख, 1.5 लाख क्लाइंट्स; पहले फ्री में दोस्तों की कुंडली देखती थी

‘2016 की बात है। शादी को तकरीबन दो साल हुए थे। मैं और मेरे पति, हम दोनों वर्किंग थे। रोज ऑफिस जाना पड़ता था। सुबह घर का काम करने के बाद ऑफिस जाना, फिर घर लौटकर अगली सुबह की तैयारी में लग जाना। ऐसा लगता था कि घर से ऑफिस और ऑफिस से घर, जिंदगी में बस इतना ही रह गया है। परेशान होकर मैंने जॉब छोड़ दी। घर पर रहने लगी, तब मेरे पति ताना मारने लगे कि दिनभर घर में पड़ी रहती हो, अब तो घर का काम ठीक से कर लिया करो। मुझे बुरा लगता, लेकिन सुनकर इग्नोर कर देती। मां को देखती थी कि वो पंडित से हमारी कुंडली दिखवाती रहती थीं। धीरे-धीरे उनको हम लोगों के कुंडली चार्ट देखने में इंट्रेस्ट आने लगा। मैं भी थोड़ी बहुत कुंडली देखना सीख चुकी थी। जब घर पर खाली बैठी थी, तो मैंने अपने जानने वालों की कुंडली को देखना, समझना शुरू किया। करते-करते आज 8 साल में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की कुंडली देख चुकी हूं।’ ‘गौरा एस्ट्रो प्रिडिक्शन’ कंपनी की फाउंडर श्वेता भारद्वाज इन बातों को दोहरा रही हैं। उनके हाथ में एक रजिस्टर है। इस पर अलग-अलग लोगों के बर्थ चार्ट बने हुए हैं। श्वेता अपनी मां के साथ बैठी हुई हैं। साथ में उनकी 3 साल की बेटी गौरा भी हैं। श्वेता कहती हैं, ‘कभी सोचा नहीं था कि जो काम पैशन के लिए कर रही थी, वही बिजनेस बन जाएगा। बुरे वक्त में साथ देगा। 2016 से अब तक मैं 4 करोड़ से अधिक की कमाई कर चुकी हूं। सालाना 50 लाख। आखिर किस जॉब में इतना पैसा मिलता। 50 लाख का पैकेज होता। लोगों को लगता है कि यह अंधविश्वास है। फर्जी बातें हैं, लेकिन एस्ट्रोलॉजी का कंसेप्ट मैथमेटिक्स पर बेस्ड है। हजारों सालों से इस तरह की गणना होती रही हैं। पहले मैन्युअली सारी चीजें होती थीं। अब ऐप और अलग-अलग वेबसाइट से हम कैलकुलेशन करते हैं। हालांकि, हमें किस्मत और भविष्यवाणी के भरोसे भी नहीं बैठे रहना चाहिए। कर्म और मेहनत से देरी से ही सही, लेकिन बहुत कुछ पा सकते हें। नियति भी यही चाहती है। मेरी किस्मत को ही देखिए। खुद एस्ट्रोलॉजर हूं, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि शादी के 8 साल बाद पति से अनबन हो जाएगी और अलग होना पड़ेगा। बहुत कुछ करने के बाद भी रिश्ते को नहीं बचा पाई।’ श्वेता को अपने पति से अलग हुए तीन साल हो चुके हैं। अब श्वेता अपनी मां और बेटी के साथ नोएडा में रहती हैं। पहले श्वेता देहरादून में रहकर एस्ट्रो कंपनी चलाती थीं। कहती हैं, ‘जिस MNC कंपनी में हम दोनों काम करते थे, वहीं पर हमारी मुलाकात हुई थी। दो साल तक एक-दूसरे को डेट करने के बाद हमने शादी कर ली। सच कहूं, तो जो मेरे पति की कुंडली, बर्थ चार्ट है, उससे मुझे पता था कि हम दोनों आगे चलकर अलग हो जाएंगे, लेकिन प्यार के आगे कुछ भी कहां दिखता है। घरवालों ने समझाया भी था, लेकिन मेरे आगे सभी को झुकना पड़ा। उत्तर प्रदेश के टूंडला की रहने वाली हूं। पापा रेलवे में थे। बचपन से मां को देखती थी कि वह हमारी कुंडली देखती थीं। उन्होंने इसकी कोई पढ़ाई नहीं की थी, लेकिन वह ज्योतिषाचार्य से संबंधित कई किताबें पढ़ती रहती थीं। बताती थीं कि हमें आगे क्या करना चाहिए। क्या हो सकता है। हालांकि, उस वक्त तक ये सारी चीजें मुझे मजाक और अंधविश्वास लगती थी। बाद में जब कुछ चीजें कुंडली के मुताबिक होनी शुरू हुई, तब मुझे यकीन हुआ। फिर मैं भी खुद से बर्थ चार्ट देखने, समझने लगी।’ श्वेता की बातचीत से लग रहा है कि उन्होंने एस्ट्रो की पढ़ाई की है। पूछने पर हंसते हुए कहती हैं, ‘2016 में जब बिजनेस के तौर पर एस्ट्रोलॉजी कंपनी शुरू की, लोगों की कुंडली देखने लगी, तब मैंने इसकी एकेडमिक पढ़ाई की। मैंने तो MCA किया था। 2005 की बात है। पापा चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं। मेरी केमिस्ट्री कमजोर थी। उस वक्त इंडिया में वोकेशनल कोर्स और कंप्यूटर का ट्रेंड बढ़ रहा था। BCA और फिर MCA कंप्लीट करने के बाद 2012 में मेरी जॉब लग गई। 2016 में जॉब छोड़ने के बाद मैं दोस्तों और रिश्तेदारों के बर्थ चार्ट देखने लगी। जो बातें उन्हें बताती, सच में उनके साथ वही होता। तब उनका मुझ पर ट्रस्ट बढ़ने लगा। बाद में जब पैसों की दिक्कत होने लगी, तब मैंने एस्ट्रो कंपनी बना ली।’ MCA करने के बाद एस्ट्रो? ‘मेरे पापा ने भी यही कहा था कि जब एस्ट्रो में ही करिअर बनाना था, तो फिर MCA क्यों किया। पहले तो वे विरोध ही करते थे कि इतनी अच्छी पढ़ाई-लिखाई करने के बाद ये कुंडली क्या देखना, लेकिन जब शुरुआत में ही महीने के लाख-डेढ़ लाख रुपए कमाने लगी, तब घरवालों ने भी सपोर्ट करना शुरू किया। मैंने दिल्ली के ही एक इंस्टीट्यूट से एस्ट्रोलॉजी की पढ़ाई की। डिग्री लेने के बाद पति के कहने पर देहरादून चली गई। वे क्लाइंट को ऑनबोर्ड करते थे। मैं शेड्यूल के मुताबिक लोगों के बर्थ चार्ट और कुंडली देखकर उनके भविष्य के बारे में बताती थी। धीरे-धीरे लोगों का इतना विश्वास बढ़ने लगा कि कुछ लोग तो परमानेंट क्लाइंट बन गए। पहले मैं 500 रुपए चार्ज करती थी। आज एक चार्ट के 5,500 चार्ज करती हूं।’ श्वेता बर्थ चार्ट और कुंडली से रिलेटेड कुछ टेक्निकल चीजें बताती हैं… श्वेता बताती हैं, ‘एस्ट्रो में करिअर शुरू करने के लिए डिग्री ली। उसमें जो फीस लगी, वही मेरा इंवेस्टमेंट था। तकरीबन 50 हजार रुपए खर्च हुए थे। देहरादून जाने के बाद मैंने सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर और कंटेंट लिखकर पोस्ट करना शुरू किया। धीरे-धीरे क्लाइंट्स की क्वेरी आने लगी। कुछ ही महीने बाद हमारे 10 हजार से ज्यादा क्लाइंट्स हो गए। बिजनेस अच्छा चलने लगा। सालाना तकरीबन 50 लाख की कमाई होने लगी। 2022 की बात है। मेरी जब बेटी हुई, उसके बाद पति के साथ अनबन होने लगी। कलह इतनी बढ़ गई कि अंत में हम दोनों को अलग होना पड़ा। कहते हैं न कि हम बारिश को नहीं रोक सकते, लेकिन बचने के लिए छाते का इस्तेमाल कर सकते हैं। यही एस्ट्रोलॉजी की दुनिया है।' -------------------------- इस सीरीज की और स्टोरी पढ़िए... 1. पॉजिटिव स्टोरी- गुड़ बेचकर 8 करोड़ का बिजनेस:हर दिन दो लाख की सेल; मां की कैंसर से मौत हु

पॉजिटिव स्टोरी- जॉब छोड़कर एस्ट्रोलॉजर बनीं:सालाना कमाई 50 लाख, 1.5 लाख क्लाइंट्स; पहले फ्री में दोस्तों की कुंडली देखती थी
‘2016 की बात है। शादी को तकरीबन दो साल हुए थे। मैं और मेरे पति, हम दोनों वर्किंग थे। रोज ऑफिस जाना पड़ता था। सुबह घर का काम करने के बाद ऑफिस जाना, फिर घर लौटकर अगली सुबह की तैयारी में लग जाना। ऐसा लगता था कि घर से ऑफिस और ऑफिस से घर, जिंदगी में बस इतना ही रह गया है। परेशान होकर मैंने जॉब छोड़ दी। घर पर रहने लगी, तब मेरे पति ताना मारने लगे कि दिनभर घर में पड़ी रहती हो, अब तो घर का काम ठीक से कर लिया करो। मुझे बुरा लगता, लेकिन सुनकर इग्नोर कर देती। मां को देखती थी कि वो पंडित से हमारी कुंडली दिखवाती रहती थीं। धीरे-धीरे उनको हम लोगों के कुंडली चार्ट देखने में इंट्रेस्ट आने लगा। मैं भी थोड़ी बहुत कुंडली देखना सीख चुकी थी। जब घर पर खाली बैठी थी, तो मैंने अपने जानने वालों की कुंडली को देखना, समझना शुरू किया। करते-करते आज 8 साल में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की कुंडली देख चुकी हूं।’ ‘गौरा एस्ट्रो प्रिडिक्शन’ कंपनी की फाउंडर श्वेता भारद्वाज इन बातों को दोहरा रही हैं। उनके हाथ में एक रजिस्टर है। इस पर अलग-अलग लोगों के बर्थ चार्ट बने हुए हैं। श्वेता अपनी मां के साथ बैठी हुई हैं। साथ में उनकी 3 साल की बेटी गौरा भी हैं। श्वेता कहती हैं, ‘कभी सोचा नहीं था कि जो काम पैशन के लिए कर रही थी, वही बिजनेस बन जाएगा। बुरे वक्त में साथ देगा। 2016 से अब तक मैं 4 करोड़ से अधिक की कमाई कर चुकी हूं। सालाना 50 लाख। आखिर किस जॉब में इतना पैसा मिलता। 50 लाख का पैकेज होता। लोगों को लगता है कि यह अंधविश्वास है। फर्जी बातें हैं, लेकिन एस्ट्रोलॉजी का कंसेप्ट मैथमेटिक्स पर बेस्ड है। हजारों सालों से इस तरह की गणना होती रही हैं। पहले मैन्युअली सारी चीजें होती थीं। अब ऐप और अलग-अलग वेबसाइट से हम कैलकुलेशन करते हैं। हालांकि, हमें किस्मत और भविष्यवाणी के भरोसे भी नहीं बैठे रहना चाहिए। कर्म और मेहनत से देरी से ही सही, लेकिन बहुत कुछ पा सकते हें। नियति भी यही चाहती है। मेरी किस्मत को ही देखिए। खुद एस्ट्रोलॉजर हूं, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि शादी के 8 साल बाद पति से अनबन हो जाएगी और अलग होना पड़ेगा। बहुत कुछ करने के बाद भी रिश्ते को नहीं बचा पाई।’ श्वेता को अपने पति से अलग हुए तीन साल हो चुके हैं। अब श्वेता अपनी मां और बेटी के साथ नोएडा में रहती हैं। पहले श्वेता देहरादून में रहकर एस्ट्रो कंपनी चलाती थीं। कहती हैं, ‘जिस MNC कंपनी में हम दोनों काम करते थे, वहीं पर हमारी मुलाकात हुई थी। दो साल तक एक-दूसरे को डेट करने के बाद हमने शादी कर ली। सच कहूं, तो जो मेरे पति की कुंडली, बर्थ चार्ट है, उससे मुझे पता था कि हम दोनों आगे चलकर अलग हो जाएंगे, लेकिन प्यार के आगे कुछ भी कहां दिखता है। घरवालों ने समझाया भी था, लेकिन मेरे आगे सभी को झुकना पड़ा। उत्तर प्रदेश के टूंडला की रहने वाली हूं। पापा रेलवे में थे। बचपन से मां को देखती थी कि वह हमारी कुंडली देखती थीं। उन्होंने इसकी कोई पढ़ाई नहीं की थी, लेकिन वह ज्योतिषाचार्य से संबंधित कई किताबें पढ़ती रहती थीं। बताती थीं कि हमें आगे क्या करना चाहिए। क्या हो सकता है। हालांकि, उस वक्त तक ये सारी चीजें मुझे मजाक और अंधविश्वास लगती थी। बाद में जब कुछ चीजें कुंडली के मुताबिक होनी शुरू हुई, तब मुझे यकीन हुआ। फिर मैं भी खुद से बर्थ चार्ट देखने, समझने लगी।’ श्वेता की बातचीत से लग रहा है कि उन्होंने एस्ट्रो की पढ़ाई की है। पूछने पर हंसते हुए कहती हैं, ‘2016 में जब बिजनेस के तौर पर एस्ट्रोलॉजी कंपनी शुरू की, लोगों की कुंडली देखने लगी, तब मैंने इसकी एकेडमिक पढ़ाई की। मैंने तो MCA किया था। 2005 की बात है। पापा चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं। मेरी केमिस्ट्री कमजोर थी। उस वक्त इंडिया में वोकेशनल कोर्स और कंप्यूटर का ट्रेंड बढ़ रहा था। BCA और फिर MCA कंप्लीट करने के बाद 2012 में मेरी जॉब लग गई। 2016 में जॉब छोड़ने के बाद मैं दोस्तों और रिश्तेदारों के बर्थ चार्ट देखने लगी। जो बातें उन्हें बताती, सच में उनके साथ वही होता। तब उनका मुझ पर ट्रस्ट बढ़ने लगा। बाद में जब पैसों की दिक्कत होने लगी, तब मैंने एस्ट्रो कंपनी बना ली।’ MCA करने के बाद एस्ट्रो? ‘मेरे पापा ने भी यही कहा था कि जब एस्ट्रो में ही करिअर बनाना था, तो फिर MCA क्यों किया। पहले तो वे विरोध ही करते थे कि इतनी अच्छी पढ़ाई-लिखाई करने के बाद ये कुंडली क्या देखना, लेकिन जब शुरुआत में ही महीने के लाख-डेढ़ लाख रुपए कमाने लगी, तब घरवालों ने भी सपोर्ट करना शुरू किया। मैंने दिल्ली के ही एक इंस्टीट्यूट से एस्ट्रोलॉजी की पढ़ाई की। डिग्री लेने के बाद पति के कहने पर देहरादून चली गई। वे क्लाइंट को ऑनबोर्ड करते थे। मैं शेड्यूल के मुताबिक लोगों के बर्थ चार्ट और कुंडली देखकर उनके भविष्य के बारे में बताती थी। धीरे-धीरे लोगों का इतना विश्वास बढ़ने लगा कि कुछ लोग तो परमानेंट क्लाइंट बन गए। पहले मैं 500 रुपए चार्ज करती थी। आज एक चार्ट के 5,500 चार्ज करती हूं।’ श्वेता बर्थ चार्ट और कुंडली से रिलेटेड कुछ टेक्निकल चीजें बताती हैं… श्वेता बताती हैं, ‘एस्ट्रो में करिअर शुरू करने के लिए डिग्री ली। उसमें जो फीस लगी, वही मेरा इंवेस्टमेंट था। तकरीबन 50 हजार रुपए खर्च हुए थे। देहरादून जाने के बाद मैंने सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर और कंटेंट लिखकर पोस्ट करना शुरू किया। धीरे-धीरे क्लाइंट्स की क्वेरी आने लगी। कुछ ही महीने बाद हमारे 10 हजार से ज्यादा क्लाइंट्स हो गए। बिजनेस अच्छा चलने लगा। सालाना तकरीबन 50 लाख की कमाई होने लगी। 2022 की बात है। मेरी जब बेटी हुई, उसके बाद पति के साथ अनबन होने लगी। कलह इतनी बढ़ गई कि अंत में हम दोनों को अलग होना पड़ा। कहते हैं न कि हम बारिश को नहीं रोक सकते, लेकिन बचने के लिए छाते का इस्तेमाल कर सकते हैं। यही एस्ट्रोलॉजी की दुनिया है।' -------------------------- इस सीरीज की और स्टोरी पढ़िए... 1. पॉजिटिव स्टोरी- गुड़ बेचकर 8 करोड़ का बिजनेस:हर दिन दो लाख की सेल; मां की कैंसर से मौत हुई, तो छोड़ा विदेश जाने का सपना 2016 में कैंसर से मां की मौत के बाद मैंने विदेश जाने का सपना छोड़ दिया। आज देखिए कि लोग 40 लाख, 50 लाख खर्च करके, एजेंट को पैसे देकर दो नंबर से विदेश जा रहे हैं और इस कदर वापस आ रहे हैं। इनके पैसे भी मिट्टी में चले जा रहे हैं। मैंने महज लाख रुपए से इस गुड़ की फैक्ट्री की शुरुआत कर दी। आज 100 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। पूरी टीम एक परिवार के जैसी लगती है। इससे अच्छी बात पंजाब में रहते हुए क्या हो सकती है। पढ़िए पूरी खबर... 2. पॉजिटिव स्टोरी- ऑनलाइन पलंग-कुर्सी बेचकर 300 करोड़ का बिजनेस:50 हजार कर्ज लेकर शुरू किया काम, आज हर महीने 4 हजार ऑर्डर 1991 का साल बीत रहा था। पापा ने दादा के साथ मिलकर लकड़ी से बने प्रोडक्ट को बेचने की दुकान खोल ली। उन्होंने पलंग, कुर्सी, टेबल जैसे प्रोडक्ट बनाने शुरू कर दिए। पहले तो आसपास के लोग ही लकड़ी का सामान खरीदकर ले जाते थे, फिर आसपास के शहर, दूसरे राज्यों से भी लोग आकर लकड़ी का सामान खरीदने लगे।’ कुर्सी, पलंग, सोफा जैसे फर्नीचर को ऑनलाइन बेचने वाली 300 करोड़ की कंपनी ‘सराफ फर्नीचर’ के को-फाउंडर रघुनंदन सराफ अपने पुराने दिनों को याद कर रहे हैं। फैक्ट्री में आसपास लकड़ी, फर्नीचर आइटम्स और पट्टी का अंबार लगा हुआ है। पूरी खबर पढ़िए...