आज का एक्सप्लेनर:मोहन भागवत ने क्यों कहा 3 बच्चे पैदा करना जरूरी, इसके क्या नुकसान होंगे; वो सब कुछ जो जानना जरूरी

दुनिया का हर छठा शख्स भारतीय है, फिर भी RSS प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि समाज नष्ट न हो इसलिए सभी को कम से कम 3 बच्चे पैदा करना जरूरी है। भागवत ने 3 बच्चों की बात क्यों की और इसके क्या नुकसान और फायदे हैं; इसी टॉपिक पर है आज का एक्सप्लेनर… सवाल-1: मोहन भागवत के बयान का पूरा मामला क्या है? जवाबः 1 दिसंबर को नागपुर में ‘कठाले कुल सम्मेलन’ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत शिरकत करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने भारतीय कुटुंब और जनसंख्या को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा, देश की जनसंख्या नीति 1998-2002 में तय की गई थी। इसके मुताबिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो समाज अपने आप नष्ट हो जाएगा। अब कोई इंसान 0.1 पैदा तो नहीं होता... इसलिए यह कम से कम तीन होना चाहिए। सवाल-2: फर्टिलिटी रेट यानी प्रजनन दर का मतलब क्या है? जवाबः किसी भी देश, समाज या समूह की एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन कितने बच्चों की मां बनती हैं, इसे उस देश, समाज या समूह का फर्टिलिटी रेट कहते हैं। जैसे यदि भारत की एक महिला अपने पूरे जीवनकाल में औसतन तीन बच्चों की मां बनती है तो भारत का फर्टिलिटी रेट 3 होगा। किसी भी देश की जनसंख्या चक्रवृद्धि दर से बढ़ती है यानी आगे चलकर बच्चों के भी बच्चे होते हैं। इस फार्मुले के मुताबिक अगर किसी देश, समाज या समूह की प्रजनन दर 2.1 है तो आने वाले समय में उसकी मौजूदा आबादी नई आबादी से रिप्लेस हो जाएगी। सवाल-3: क्या भागवत जनसंख्या पर पहले भी कोई बयान दे चुके हैं ? जवाबः इससे पहले भी मोहन भागवत ऐसे बयान दे चुके हैं… अक्टूबर 2022: विजयादशमी के मौके पर भागवत ने कहा था कि जनसंख्या असंतुलन पर हमें नजर रखनी होगी। देश को जनसंख्या नियंत्रण नीति की जरूरत है, जो सभी पर बराबरी से लागू होती हो, ताकि किसी को भी रियायत न मिल सके। कुछ साल पहले फर्टिलिटी रेट 2.1 था। दुनिया की आशंकाओं से उलट हमने बेहतर किया और इसे 2 तक लेकर आए, लेकिन और नीचे आना खतरनाक हो सकता है। अक्टूबर 2021: विजयादशमी उत्सव में भागवत ने कहा था कि साल 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर के कारण देश की जनसंख्या में जहां भारत में दूसरे पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88% से घटकर 83.8% रह गया है, वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8% से बढ़कर 14.24% हो गया है। असंतुलन पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा था कि जनसंख्या नीति होनी चाहिए। सवाल-4: इस वक्त भारत की प्रजनन दर क्या है, पिछले 70 सालों में कितनी बदली? जवाबः यूनाइटेड नेशंस के डेटा के मुताबिक भारत की मौजूदा प्रजनन दर 2 के आसपास है। 2019 में ये आंकड़ा 2.12 था, जो धीरे-धीरे घटकर 2023 में 1.975 हो गया है। यूनाइटेड नेशंस की पॉपुलेशन रिपोर्ट के मुताबिक 2062 में भारत की आबादी 170 करोड़ तक पहुंच जाएगी और ये पीक पर होगी। 2062 में जनवरी से जुलाई के बीच जनसंख्या में गिरावट शुरू हो जाएगी। 2063 में देश की आबादी में 1.15 लाख की कमी होगी, जो 2064 में बढ़कर 4.37 लाख और 2065 में 7.93 लाख होगी। वहीं 2054 तक भारत की 20 से 64 साल के लोगों की जनसंख्या बढ़ती जाएगी। यानी वर्किंग ऐज बढ़ती जाएगी। 2080 तक 65 साल से अधिक उम्र के लोग, 18 साल से कम उम्र के लोगों से ज्यादा हो जाएंगे। ऐसे ही पूरी दुनिया की आबादी 2083 तक बढ़ती रहेगी। 1020 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इसके बाद ये भी घटने लगेगी। सवाल-5: क्या मौजूदा प्रजनन दर से नीचे आना चिंता की बात है; अगर हर कपल 3 बच्चे पैदा करे तो क्या होगा? जवाबः पॉपुलेशन एक्सपर्ट मनु गौर बताते हैं कि अगर प्रजनन दर 2.1 से नीचे आती है तो जनसंख्या कम होने लगती है। ऐसा जैन और पारसी समुदाय के साथ हुआ भी है। UN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर लंबे समय तक प्रजनन क्षमता में गिरावट जारी रहती है, तो कुल आबादी में काम करने लायक लोगों का हिस्सा घटता है और बूढ़े लोगों का हिस्सा बढ़ता है। साथ ही डिपेंडेंसी रेश्यो बढ़ता है। अगर किसी देश की प्रजनन दर 2.1 है तो वह अपनी आबादी को आसानी से रिप्लेस कर सकता है। जिन देशों में 2.1 से कम प्रजनन दर होती है, वहां जनसंख्या की उम्र तेजी से बढ़ती है। साथ ही जनसंख्या में कमी आती है। सरल शब्दों में कहें तो एक पीढ़ी को अपने बराबर की अगली पीढ़ी तैयार करने के लिए प्रजनन दर 2.1 होना जरूरी है। यानी इसके लिए हर 10 महिलाओं को 21 बच्चों को जन्म देना होगा। भारत की प्रजनन दर के हिसाब से अगर महिलाएं 2 बच्चों को जन्म देती हैं तो हर 10 में से एक महिला को 3 बच्चों को जन्म देना होगा। साथ ही लिंगानुपात बनाए रखने के लिए जितने लड़के उतनी ही लड़कियों का भी होना जरूरी है। पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा कहती हैं कि इस तरह के ट्रेंड्स से देश में बूढ़ी होती आबादी, लेबर फोर्स में कमी और लड़का या लड़की की इच्छा के कारण सामाजिक असंतुलन जैसी दिक्कतें आ सकती है। हालांकि, भारत को इन दिक्कतों का सामना करने में दशकों लगे सकते हैं, लेकिन हमें आज ही कारगर कोशिश अपनानी होंगी। पॉपुलेशन एक्सपर्ट मनु गौर कहते हैं, ‘अगर सभी 3 बच्चे पैदा करने लगेंगे तो हर जगह हर चीज के लिए कतारें लगने लगेंगी। विश्व की 2.4% जमीन भारत के पास है, जिसमें विश्व की करीब 18% आबादी रहती है। 4% जल संसाधन है। सप्लाई-डिमांड की चेन बिगड़ेगी। ऐसे में बेरोजगारी बढ़ेगी, संसाधनों का दोहन और प्रदूषण भी बढ़ेगा। इससे लोगों के जीवन जीने की क्वालिटी में कम आएगी।’ रिसर्च जर्नल लैंसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक भारत की प्रजनन दर 1.29% पहुंच सकती है। यानी 10 महिलाएं महज 13 बच्चे ही पैदा कर पाएंगी। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक 204 में से 155 देशों की प्रजनन दर 2.1% से कम होगी। 2100 तक ये आंकड़ा बढ़कर 198 देशों तक पहुंच सकता है। सवाल-6: इतनी बड़ी जनसंख्या के क्या नुकसान हैं? जवाब: इंग्लिश विद्वान थॉमस माल्थस के मुताबिक आबादी जितनी तेजी से बढ़ती है, उसके मुकाबले संसाधन

आज का एक्सप्लेनर:मोहन भागवत ने क्यों कहा 3 बच्चे पैदा करना जरूरी, इसके क्या नुकसान होंगे; वो सब कुछ जो जानना जरूरी
दुनिया का हर छठा शख्स भारतीय है, फिर भी RSS प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि समाज नष्ट न हो इसलिए सभी को कम से कम 3 बच्चे पैदा करना जरूरी है। भागवत ने 3 बच्चों की बात क्यों की और इसके क्या नुकसान और फायदे हैं; इसी टॉपिक पर है आज का एक्सप्लेनर… सवाल-1: मोहन भागवत के बयान का पूरा मामला क्या है? जवाबः 1 दिसंबर को नागपुर में ‘कठाले कुल सम्मेलन’ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत शिरकत करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने भारतीय कुटुंब और जनसंख्या को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा, देश की जनसंख्या नीति 1998-2002 में तय की गई थी। इसके मुताबिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो समाज अपने आप नष्ट हो जाएगा। अब कोई इंसान 0.1 पैदा तो नहीं होता... इसलिए यह कम से कम तीन होना चाहिए। सवाल-2: फर्टिलिटी रेट यानी प्रजनन दर का मतलब क्या है? जवाबः किसी भी देश, समाज या समूह की एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन कितने बच्चों की मां बनती हैं, इसे उस देश, समाज या समूह का फर्टिलिटी रेट कहते हैं। जैसे यदि भारत की एक महिला अपने पूरे जीवनकाल में औसतन तीन बच्चों की मां बनती है तो भारत का फर्टिलिटी रेट 3 होगा। किसी भी देश की जनसंख्या चक्रवृद्धि दर से बढ़ती है यानी आगे चलकर बच्चों के भी बच्चे होते हैं। इस फार्मुले के मुताबिक अगर किसी देश, समाज या समूह की प्रजनन दर 2.1 है तो आने वाले समय में उसकी मौजूदा आबादी नई आबादी से रिप्लेस हो जाएगी। सवाल-3: क्या भागवत जनसंख्या पर पहले भी कोई बयान दे चुके हैं ? जवाबः इससे पहले भी मोहन भागवत ऐसे बयान दे चुके हैं… अक्टूबर 2022: विजयादशमी के मौके पर भागवत ने कहा था कि जनसंख्या असंतुलन पर हमें नजर रखनी होगी। देश को जनसंख्या नियंत्रण नीति की जरूरत है, जो सभी पर बराबरी से लागू होती हो, ताकि किसी को भी रियायत न मिल सके। कुछ साल पहले फर्टिलिटी रेट 2.1 था। दुनिया की आशंकाओं से उलट हमने बेहतर किया और इसे 2 तक लेकर आए, लेकिन और नीचे आना खतरनाक हो सकता है। अक्टूबर 2021: विजयादशमी उत्सव में भागवत ने कहा था कि साल 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर के कारण देश की जनसंख्या में जहां भारत में दूसरे पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88% से घटकर 83.8% रह गया है, वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8% से बढ़कर 14.24% हो गया है। असंतुलन पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा था कि जनसंख्या नीति होनी चाहिए। सवाल-4: इस वक्त भारत की प्रजनन दर क्या है, पिछले 70 सालों में कितनी बदली? जवाबः यूनाइटेड नेशंस के डेटा के मुताबिक भारत की मौजूदा प्रजनन दर 2 के आसपास है। 2019 में ये आंकड़ा 2.12 था, जो धीरे-धीरे घटकर 2023 में 1.975 हो गया है। यूनाइटेड नेशंस की पॉपुलेशन रिपोर्ट के मुताबिक 2062 में भारत की आबादी 170 करोड़ तक पहुंच जाएगी और ये पीक पर होगी। 2062 में जनवरी से जुलाई के बीच जनसंख्या में गिरावट शुरू हो जाएगी। 2063 में देश की आबादी में 1.15 लाख की कमी होगी, जो 2064 में बढ़कर 4.37 लाख और 2065 में 7.93 लाख होगी। वहीं 2054 तक भारत की 20 से 64 साल के लोगों की जनसंख्या बढ़ती जाएगी। यानी वर्किंग ऐज बढ़ती जाएगी। 2080 तक 65 साल से अधिक उम्र के लोग, 18 साल से कम उम्र के लोगों से ज्यादा हो जाएंगे। ऐसे ही पूरी दुनिया की आबादी 2083 तक बढ़ती रहेगी। 1020 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इसके बाद ये भी घटने लगेगी। सवाल-5: क्या मौजूदा प्रजनन दर से नीचे आना चिंता की बात है; अगर हर कपल 3 बच्चे पैदा करे तो क्या होगा? जवाबः पॉपुलेशन एक्सपर्ट मनु गौर बताते हैं कि अगर प्रजनन दर 2.1 से नीचे आती है तो जनसंख्या कम होने लगती है। ऐसा जैन और पारसी समुदाय के साथ हुआ भी है। UN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर लंबे समय तक प्रजनन क्षमता में गिरावट जारी रहती है, तो कुल आबादी में काम करने लायक लोगों का हिस्सा घटता है और बूढ़े लोगों का हिस्सा बढ़ता है। साथ ही डिपेंडेंसी रेश्यो बढ़ता है। अगर किसी देश की प्रजनन दर 2.1 है तो वह अपनी आबादी को आसानी से रिप्लेस कर सकता है। जिन देशों में 2.1 से कम प्रजनन दर होती है, वहां जनसंख्या की उम्र तेजी से बढ़ती है। साथ ही जनसंख्या में कमी आती है। सरल शब्दों में कहें तो एक पीढ़ी को अपने बराबर की अगली पीढ़ी तैयार करने के लिए प्रजनन दर 2.1 होना जरूरी है। यानी इसके लिए हर 10 महिलाओं को 21 बच्चों को जन्म देना होगा। भारत की प्रजनन दर के हिसाब से अगर महिलाएं 2 बच्चों को जन्म देती हैं तो हर 10 में से एक महिला को 3 बच्चों को जन्म देना होगा। साथ ही लिंगानुपात बनाए रखने के लिए जितने लड़के उतनी ही लड़कियों का भी होना जरूरी है। पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा कहती हैं कि इस तरह के ट्रेंड्स से देश में बूढ़ी होती आबादी, लेबर फोर्स में कमी और लड़का या लड़की की इच्छा के कारण सामाजिक असंतुलन जैसी दिक्कतें आ सकती है। हालांकि, भारत को इन दिक्कतों का सामना करने में दशकों लगे सकते हैं, लेकिन हमें आज ही कारगर कोशिश अपनानी होंगी। पॉपुलेशन एक्सपर्ट मनु गौर कहते हैं, ‘अगर सभी 3 बच्चे पैदा करने लगेंगे तो हर जगह हर चीज के लिए कतारें लगने लगेंगी। विश्व की 2.4% जमीन भारत के पास है, जिसमें विश्व की करीब 18% आबादी रहती है। 4% जल संसाधन है। सप्लाई-डिमांड की चेन बिगड़ेगी। ऐसे में बेरोजगारी बढ़ेगी, संसाधनों का दोहन और प्रदूषण भी बढ़ेगा। इससे लोगों के जीवन जीने की क्वालिटी में कम आएगी।’ रिसर्च जर्नल लैंसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक भारत की प्रजनन दर 1.29% पहुंच सकती है। यानी 10 महिलाएं महज 13 बच्चे ही पैदा कर पाएंगी। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक 204 में से 155 देशों की प्रजनन दर 2.1% से कम होगी। 2100 तक ये आंकड़ा बढ़कर 198 देशों तक पहुंच सकता है। सवाल-6: इतनी बड़ी जनसंख्या के क्या नुकसान हैं? जवाब: इंग्लिश विद्वान थॉमस माल्थस के मुताबिक आबादी जितनी तेजी से बढ़ती है, उसके मुकाबले संसाधनों का उत्पादन और उसकी आपूर्ति बहुत धीमी गति से बढ़ती है। ऐसे में बढ़ती जनसंख्या के चलते रहने खाने-पीने और यातायात जैसी जरूरतें ठीक से पूरी नहीं हो पातीं। वहीं प्रदूषण और बेरोजगारी जैसी समस्याएं फैलने लगती हैं… सवाल-7: क्या दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी के कुछ फायदे भी हैं? जवाबः अगर मूलभूत सुविधाओं और जरूरतों को छोड़ दें तो ज्यादा बच्चे पैदा करने के कुछ फायदे भी हो सकते हैं… हालांकि मनु गौर मानते हैं कि भारत के लिए ज्यादा बच्चे पैदा होना फायदेमंद नहीं है। वे कहते हैं, भारत के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा बच्चे पैदा करने में फायदे नहीं, नुकसान ही हैं। **** रिसर्च सहयोग- अनमोल शर्मा ------------ ये एक्सप्लेनर भी पढ़िए... आज का एक्सप्लेनर: ट्रम्प ने भारत-चीन को धमकाया, डॉलर पर आंच से अमेरिका इतना डर क्यों जाता है; वो सब कुछ जो जानना जरूरी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के नए चुने गए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कई मौकों पर एक दूसरे को अच्छा दोस्त बता चुके हैं, लेकिन व्यापार से जुड़े मसलों पर भारत को घेरते भी रहे हैं। इसी कड़ी में ट्रम्प ने BRICS में शामिल भारत, चीन जैसे देशों को खुली धमकी दी है। ट्रम्प ने कहा कि अगर BRICS देशों ने डॉलर के अलावा दूसरी करेंसी में ट्रेड किया तो उन पर 100% ट्रैरिफ लगाएंगे। ट्रम्प ने ये धमकी क्यों दी और डॉलर पर आंच आते ही अमेरिका इतना घबरा क्यों जाता है; पूरा एक्सप्लेनर पढ़िए...