पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:अच्छे विचार ग्रहण करने के साथ शरीर का सदुपयोग करें

मनुष्य के शरीर से भोग, भोजन और नींद इन तीन का संतुलन बिगड़ जाए तो समझ लीजिए कि हम शरीर का दुरुपयोग कर रहे हैं। परिश्रम तो बहुत बाद में आता है। बहुत सारे मनुष्यों का शरीर परिश्रमी होता है, लेकिन ये तीन दुर्गुण उसके परिश्रम को व्यर्थ कर देते हैं। श्रीराम कहते हैं, मनुष्य का शरीर मिला है, तो मेरी बात ध्यान से सुनो। ‘जौं परलोक इहां सुख चहहू। सुनि मम बचन हृदयं दृढ़ गहहू।’ ‘यदि परलोक में और यहां दोनों जगह सुख चाहते हो, तो मेरे वचन सुनकर उन्हें हृदय में दृढ़ता से पकड़ रखो।’ यह पंक्ति उन्होंने बहुत अच्छी बोली है कि मेरे वचन को हृदय में पकड़कर रखो। हमारे माता-पिता, गुरुजन और विद्वान लोग, जब हमें कोई अच्छी बात बोलें, तो उन विचारों को पकड़ लेना चाहिए, जकड़ लेना चाहिए, क्योंकि विचार भी बहुत तेजी से बह जाते हैं। और शरीर के मामले में तो जो विचार समझदारों ने हमें दिए हैं, उसको स्वीकारें। यह शरीर का दुरुपयोग है कि लोग जमकर नशा कर रहे हैं। इस देश में विवाह भी एक उद्योग का रूप ले चुका है और इसमें भी जमकर नशा किया जाता है। यह भी शरीर का दुरुपयोग है। इसलिए अच्छे विचारों को पकड़कर रखें। और अच्छे विचार कहते हैं कि मनुष्य का शरीर मिला है तो सदैव इसका सदुपयोग करें।

Dec 4, 2024 - 13:28
 0  0
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:अच्छे विचार ग्रहण करने के साथ शरीर का सदुपयोग करें
मनुष्य के शरीर से भोग, भोजन और नींद इन तीन का संतुलन बिगड़ जाए तो समझ लीजिए कि हम शरीर का दुरुपयोग कर रहे हैं। परिश्रम तो बहुत बाद में आता है। बहुत सारे मनुष्यों का शरीर परिश्रमी होता है, लेकिन ये तीन दुर्गुण उसके परिश्रम को व्यर्थ कर देते हैं। श्रीराम कहते हैं, मनुष्य का शरीर मिला है, तो मेरी बात ध्यान से सुनो। ‘जौं परलोक इहां सुख चहहू। सुनि मम बचन हृदयं दृढ़ गहहू।’ ‘यदि परलोक में और यहां दोनों जगह सुख चाहते हो, तो मेरे वचन सुनकर उन्हें हृदय में दृढ़ता से पकड़ रखो।’ यह पंक्ति उन्होंने बहुत अच्छी बोली है कि मेरे वचन को हृदय में पकड़कर रखो। हमारे माता-पिता, गुरुजन और विद्वान लोग, जब हमें कोई अच्छी बात बोलें, तो उन विचारों को पकड़ लेना चाहिए, जकड़ लेना चाहिए, क्योंकि विचार भी बहुत तेजी से बह जाते हैं। और शरीर के मामले में तो जो विचार समझदारों ने हमें दिए हैं, उसको स्वीकारें। यह शरीर का दुरुपयोग है कि लोग जमकर नशा कर रहे हैं। इस देश में विवाह भी एक उद्योग का रूप ले चुका है और इसमें भी जमकर नशा किया जाता है। यह भी शरीर का दुरुपयोग है। इसलिए अच्छे विचारों को पकड़कर रखें। और अच्छे विचार कहते हैं कि मनुष्य का शरीर मिला है तो सदैव इसका सदुपयोग करें।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow