गैंग्स ऑफ मणिपुर, जिनकी वजह से नहीं रुक रही हिंसा:अरामबाई टेंगोल के पास 40 हजार लड़ाके, ITLF की हर गांव में डिफेंस फोर्स

मणिपुर की दो घटनाएं पहली घटना 2 जुलाई, 2023 की राज्य में हिंसा शुरू हुए एक साल पूरे हो चुके थे। चुराचांदपुर के चिंगलंगमेल गांव में रात भर ड्यूटी के बाद विलेज डिफेंस वॉलंटियर्स सुबह 4 बजे थककर घर लौटे थे। इन्हीं में डेविड थीक भी था। तभी 20 गाड़ियां गांव में दाखिल हुईं। इनमें अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन के लोग थे। उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। डेविड को पीटा, गोली मारी, गाड़ी से कुचला, उसका सिर काटा और बांस पर लटका दिया। दूसरी घटना 11 नवंबर, 2024 की जिरीबाम के जकुराडोर गांव में 20 से ज्यादा लोग घुसे। उन्होंने एक घंटे में पूरा गांव जला दिया। यहीं CRPF के साथ मुठभेड़ में 10 संदिग्ध हमलावर मारे गए। सुरक्षाबलों ने इन्हें कुकी मिलिटेंट बताया, वहीं कुकी संगठन ITLF ने कहा कि वे मिलिटेंट नहीं, हमारे वॉलंटियर थे। इसी दौरान मैतेई परिवार की तीन महिलाओं और तीन बच्चों को उठा कर लिया गया। सभी की डेडबॉडी बराक नदी के पास मिली। 3 मई, 2023 से हिंसा झेल रहे मणिपुर में जब भी कोई बड़ी घटना हुई, तीन संगठनों के नाम बार-बार सामने आए- ITLF, अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन। इनमें ITLF कुकी संगठन है और मैतेई लिपुन-अरामबाई टेंगोल मैतेई। तीनों के पास सेना की तरह अच्छे हथियार और उन्हें चलाने के लिए ट्रेंड वॉलंटियर्स हैं। अरामबाई टेंगोल के पास तो 40 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं। ये गैंग्स ऑफ मणिपुर हैं, जिन पर एक-दूसरे के गांव जलाने, अगवा करने और बेरहमी से हत्या करने के आरोप हैं। आखिर ये संगठन किसके इशारे पर चलते हैं। इन्हें हथियार कहां से मिलते हैं, फंडिग कैसे होती है। किस संगठन के पास कितनी ताकत है, ये जानने के लिए हम इनके टॉप लीडर्स और मेंबर्स तक पहुंचे। इंफाल में अरामबाई टेंगोल की 50 से ज्यादा यूनिट हैं। इनमें से एक यूनिट में काम करने वाले मेंबर ने हमसे ऑफ-कैमरा बात की। हालांकि मैतेई लिपुन के प्रमोद सिंह और ITLF के मुआन टोंबिंग कैमरे पर बात करने के लिए तैयार हो गए। दोनों नेताओं के ये बयान पढ़िए 'अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन का नाम लेकर अब पुलिस, कमांडो और इंडियन रिजर्व बटालियन कुकी गांवों पर हमला कर रहे हैं। इन संगठनों के पास बुलेट प्रूफ गाड़ियां कहां से आईं। ये 50 से ज्यादा तरह के मोर्टार, लाइट मशीनगन से हमले कर रहे हैं। इसमें कहीं न कहीं मणिपुर सरकार भी शामिल है।' - मुआन टोंबिंग, इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के सेक्रेटरी 'ITLF फर्जी और झूठा ग्रुप है। उनका नाम ही झूठ की बुनियाद पर रखा गया है। वे खुद को भारतीय बताते हैं। आरोप लगाते हैं कि मैतेई लोगों ने उनके घर जलाए, उन्हें इंफाल से भगा दिया। उनकी इन बेकार की बातों से मुझे फर्क नहीं पड़ता। कुकी बाहर से आकर हमारी जमीनों पर बसे हैं। वे यहां कुकी लैंड की डिमांड नहीं कर सकते। उन्हें अपनी कंडीशन पर नहीं, हमारी कंडीशन पर रहना होगा।'- प्रमोद सिंह, लीडर, मैतेई लिपुन मुआन टोंबिंग और प्रमोद सिंह की बातों में दिख रहा टकराव ही मणिपुर में हिंसा की वजह है। ये हिंसा मैतेई को ST का दर्जा देने की मांग से शुरू हुई थी। कुकी ने इसका विरोध किया। इसी पर दोनों कम्युनिटी एक-दूसरे की दुश्मन बन गईं। बीते डेढ़ साल में ये दुश्मनी बढ़ती ही गई। अब कुकी अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं और मैतेई उनका विरोध। संगठन: अरामबाई टेंगोल इंफाल में 50 से ज्यादा खुफिया यूनिट, 40 हजार लड़ाके ‘अरामबाई टेंगोल’ मैतेई भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है- तीर चलाने वाले घुड़सवारों की सेना। ये संगठन 2020 से मणिपुर में एक्टिव है। शुरुआत में ये कल्चरल ग्रुप था, जो मैतेई धर्म सनमहिज्म को बढ़ावा देता है। संगठन मणिपुर में ईसाई धर्म को खतरा मानता है। इसका मकसद ईसाई धर्म अपना चुके लोगों को सनमहिज्म में वापस लाना है। मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद अरामबाई टेंगोल ने अपनी वर्किंग बदली। मैतेई कम्युनिटी की सुरक्षा के नाम पर ये कट्टरपंथी संगठन में बदल गया। 2023 से लेकर हाल में जिरीबाम में हुई हिंसा में इस संगठन का नाम लिया गया। अरामबाई टेंगोल के मेंबर्स की पहचान उनकी काली ड्रेस है। इसमें लाल रंग के तीन घुड़सवारों का लोगो रहता है। संगठन के लोग इंफाल में सड़कों, बाजारों में घूमते दिख जाते हैं। ऐसे ही एक मेंबर से हम इंफाल के इमा कीथेल बाजार के पास मिले। इमा कीथेल एशिया का सबसे बड़ा मार्केट है, जिसे सिर्फ महिलाएं चलाती हैं। अरामबाई टेंगोल के लोग बाहरी लोगों से बात नहीं करते। संगठन का मेंबर हमारे ड्राइवर का दोस्त था, इसलिए बात करने के लिए तैयार हो गया। हमने उस शख्स से तीन सवाल पूछे... 1. अरामबाई टेंगोल कैसे काम करता है, कुकी समुदाय से आपकी क्या दुश्मनी है? 2. संगठन में कितने लोग हैं, फंडिग और हथियार कहां से आते हैं? 3. क्या मणिपुर सरकार अरामबाई टेंगोल का सपोर्ट करती है? अरामबाई टेंगोल के मेंबर ने बताया, ‘कोरौंगनबा खुमान हमारे लीडर हैं। वे जो कहते हैं, हम वही करते हैं। कुकी मिलिटेंट्स निर्दोष मैतेई लोगों को मार रहे हैं। उन्हें घरों से उठाकर ले जा रहे हैं। 11 नंवबर को जिरीबाम में 6 मैतेई महिलाओं और बच्चों को किडनैप करके गोली मार दी गई। कुकी हमारे लोगों को टारगेट कर रहे हैं। उन्हें बचाना ही अरामबाई टेंगोल का काम है।’ संगठन कितना बड़ा है? अरामबाई टेंगोल के मेंबर ने जवाब दिया, ‘हमारे लोगों ने मणिपुर में ड्रग्स की सप्लाई रोकने के लिए सरकार के साथ अभियान चलाया था। खासतौर से मिजोरम और असम बॉर्डर पर बसे गांवों और पहाड़ी जिलों में अफीम के खेत खत्म किए। ज्यादातर बाहरी कॉन्ट्रैक्टर कुकी गांवों में अफीम की खेती करवाते थे। हम लोगों ने इसे रोकना शुरू किया।’ ‘2022 तक हमारी करीब 20 यूनिट थीं। इनमें शामिल लड़कों को ट्रेनिंग दी गई। उन्हें विलेज वॉलंटियर बनाया। मई, 2023 में मैतेई गांवों पर हमले हुए, तो हमने अपनी यूनिट 50 तक बढ़ा दीं। इस वक्त हमारे 40 हजार वॉलंटियर्स मैतेई गांवों की सिक्योरिटी में लगे हैं। उन्हें हमलों से बचा रहे हैं।’ क्या अरामबाई टेंगोल को सरकार का सपोर्ट है? इस सवा

गैंग्स ऑफ मणिपुर, जिनकी वजह से नहीं रुक रही हिंसा:अरामबाई टेंगोल के पास 40 हजार लड़ाके, ITLF की हर गांव में डिफेंस फोर्स
मणिपुर की दो घटनाएं पहली घटना 2 जुलाई, 2023 की राज्य में हिंसा शुरू हुए एक साल पूरे हो चुके थे। चुराचांदपुर के चिंगलंगमेल गांव में रात भर ड्यूटी के बाद विलेज डिफेंस वॉलंटियर्स सुबह 4 बजे थककर घर लौटे थे। इन्हीं में डेविड थीक भी था। तभी 20 गाड़ियां गांव में दाखिल हुईं। इनमें अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन के लोग थे। उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। डेविड को पीटा, गोली मारी, गाड़ी से कुचला, उसका सिर काटा और बांस पर लटका दिया। दूसरी घटना 11 नवंबर, 2024 की जिरीबाम के जकुराडोर गांव में 20 से ज्यादा लोग घुसे। उन्होंने एक घंटे में पूरा गांव जला दिया। यहीं CRPF के साथ मुठभेड़ में 10 संदिग्ध हमलावर मारे गए। सुरक्षाबलों ने इन्हें कुकी मिलिटेंट बताया, वहीं कुकी संगठन ITLF ने कहा कि वे मिलिटेंट नहीं, हमारे वॉलंटियर थे। इसी दौरान मैतेई परिवार की तीन महिलाओं और तीन बच्चों को उठा कर लिया गया। सभी की डेडबॉडी बराक नदी के पास मिली। 3 मई, 2023 से हिंसा झेल रहे मणिपुर में जब भी कोई बड़ी घटना हुई, तीन संगठनों के नाम बार-बार सामने आए- ITLF, अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन। इनमें ITLF कुकी संगठन है और मैतेई लिपुन-अरामबाई टेंगोल मैतेई। तीनों के पास सेना की तरह अच्छे हथियार और उन्हें चलाने के लिए ट्रेंड वॉलंटियर्स हैं। अरामबाई टेंगोल के पास तो 40 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं। ये गैंग्स ऑफ मणिपुर हैं, जिन पर एक-दूसरे के गांव जलाने, अगवा करने और बेरहमी से हत्या करने के आरोप हैं। आखिर ये संगठन किसके इशारे पर चलते हैं। इन्हें हथियार कहां से मिलते हैं, फंडिग कैसे होती है। किस संगठन के पास कितनी ताकत है, ये जानने के लिए हम इनके टॉप लीडर्स और मेंबर्स तक पहुंचे। इंफाल में अरामबाई टेंगोल की 50 से ज्यादा यूनिट हैं। इनमें से एक यूनिट में काम करने वाले मेंबर ने हमसे ऑफ-कैमरा बात की। हालांकि मैतेई लिपुन के प्रमोद सिंह और ITLF के मुआन टोंबिंग कैमरे पर बात करने के लिए तैयार हो गए। दोनों नेताओं के ये बयान पढ़िए 'अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन का नाम लेकर अब पुलिस, कमांडो और इंडियन रिजर्व बटालियन कुकी गांवों पर हमला कर रहे हैं। इन संगठनों के पास बुलेट प्रूफ गाड़ियां कहां से आईं। ये 50 से ज्यादा तरह के मोर्टार, लाइट मशीनगन से हमले कर रहे हैं। इसमें कहीं न कहीं मणिपुर सरकार भी शामिल है।' - मुआन टोंबिंग, इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के सेक्रेटरी 'ITLF फर्जी और झूठा ग्रुप है। उनका नाम ही झूठ की बुनियाद पर रखा गया है। वे खुद को भारतीय बताते हैं। आरोप लगाते हैं कि मैतेई लोगों ने उनके घर जलाए, उन्हें इंफाल से भगा दिया। उनकी इन बेकार की बातों से मुझे फर्क नहीं पड़ता। कुकी बाहर से आकर हमारी जमीनों पर बसे हैं। वे यहां कुकी लैंड की डिमांड नहीं कर सकते। उन्हें अपनी कंडीशन पर नहीं, हमारी कंडीशन पर रहना होगा।'- प्रमोद सिंह, लीडर, मैतेई लिपुन मुआन टोंबिंग और प्रमोद सिंह की बातों में दिख रहा टकराव ही मणिपुर में हिंसा की वजह है। ये हिंसा मैतेई को ST का दर्जा देने की मांग से शुरू हुई थी। कुकी ने इसका विरोध किया। इसी पर दोनों कम्युनिटी एक-दूसरे की दुश्मन बन गईं। बीते डेढ़ साल में ये दुश्मनी बढ़ती ही गई। अब कुकी अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं और मैतेई उनका विरोध। संगठन: अरामबाई टेंगोल इंफाल में 50 से ज्यादा खुफिया यूनिट, 40 हजार लड़ाके ‘अरामबाई टेंगोल’ मैतेई भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है- तीर चलाने वाले घुड़सवारों की सेना। ये संगठन 2020 से मणिपुर में एक्टिव है। शुरुआत में ये कल्चरल ग्रुप था, जो मैतेई धर्म सनमहिज्म को बढ़ावा देता है। संगठन मणिपुर में ईसाई धर्म को खतरा मानता है। इसका मकसद ईसाई धर्म अपना चुके लोगों को सनमहिज्म में वापस लाना है। मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद अरामबाई टेंगोल ने अपनी वर्किंग बदली। मैतेई कम्युनिटी की सुरक्षा के नाम पर ये कट्टरपंथी संगठन में बदल गया। 2023 से लेकर हाल में जिरीबाम में हुई हिंसा में इस संगठन का नाम लिया गया। अरामबाई टेंगोल के मेंबर्स की पहचान उनकी काली ड्रेस है। इसमें लाल रंग के तीन घुड़सवारों का लोगो रहता है। संगठन के लोग इंफाल में सड़कों, बाजारों में घूमते दिख जाते हैं। ऐसे ही एक मेंबर से हम इंफाल के इमा कीथेल बाजार के पास मिले। इमा कीथेल एशिया का सबसे बड़ा मार्केट है, जिसे सिर्फ महिलाएं चलाती हैं। अरामबाई टेंगोल के लोग बाहरी लोगों से बात नहीं करते। संगठन का मेंबर हमारे ड्राइवर का दोस्त था, इसलिए बात करने के लिए तैयार हो गया। हमने उस शख्स से तीन सवाल पूछे... 1. अरामबाई टेंगोल कैसे काम करता है, कुकी समुदाय से आपकी क्या दुश्मनी है? 2. संगठन में कितने लोग हैं, फंडिग और हथियार कहां से आते हैं? 3. क्या मणिपुर सरकार अरामबाई टेंगोल का सपोर्ट करती है? अरामबाई टेंगोल के मेंबर ने बताया, ‘कोरौंगनबा खुमान हमारे लीडर हैं। वे जो कहते हैं, हम वही करते हैं। कुकी मिलिटेंट्स निर्दोष मैतेई लोगों को मार रहे हैं। उन्हें घरों से उठाकर ले जा रहे हैं। 11 नंवबर को जिरीबाम में 6 मैतेई महिलाओं और बच्चों को किडनैप करके गोली मार दी गई। कुकी हमारे लोगों को टारगेट कर रहे हैं। उन्हें बचाना ही अरामबाई टेंगोल का काम है।’ संगठन कितना बड़ा है? अरामबाई टेंगोल के मेंबर ने जवाब दिया, ‘हमारे लोगों ने मणिपुर में ड्रग्स की सप्लाई रोकने के लिए सरकार के साथ अभियान चलाया था। खासतौर से मिजोरम और असम बॉर्डर पर बसे गांवों और पहाड़ी जिलों में अफीम के खेत खत्म किए। ज्यादातर बाहरी कॉन्ट्रैक्टर कुकी गांवों में अफीम की खेती करवाते थे। हम लोगों ने इसे रोकना शुरू किया।’ ‘2022 तक हमारी करीब 20 यूनिट थीं। इनमें शामिल लड़कों को ट्रेनिंग दी गई। उन्हें विलेज वॉलंटियर बनाया। मई, 2023 में मैतेई गांवों पर हमले हुए, तो हमने अपनी यूनिट 50 तक बढ़ा दीं। इस वक्त हमारे 40 हजार वॉलंटियर्स मैतेई गांवों की सिक्योरिटी में लगे हैं। उन्हें हमलों से बचा रहे हैं।’ क्या अरामबाई टेंगोल को सरकार का सपोर्ट है? इस सवाल पर अरामबाई टेंगोल के मेंबर ने जवाब नहीं दिया। कहा, ‘मैं ये सब नहीं जानता। हालांकि कई पॉलिटिशियन हमारे टॉप लीडर्स से मिलते रहते हैं।’ इस शख्स ने भले सरकार के सपोर्ट पर कुछ नहीं कहा, लेकिन खबरों से पता चला कि अरामबाई टेंगोल और मणिपुर सरकार के विधायकों-मंत्रियों के बीच कई बार बैठकें हो चुकी हैं। खुद CM बीरेन सिंह और मणिपुर के राज्यसभा सांसद लैशेम्बा सनाजाउबा की फोटो अरामबाई टेंगोल के लीडर कोरौंगनबा खुमान के साथ आ चुकी है। लैशेम्बा सनाजाउबा ने ही अरामबाई टेंगोल की स्थापना की थी। 24 जनवरी, 2024 की एक बैठक भी मणिपुर सरकार और अरामबाई टेंगोल के बीच करीबी दिखाती है। जनवरी में CM हाउस के नजदीक कंगला फोर्ट में अरामबाई टेंगोल ने ये मीटिंग बुलाई थी। इसमें 37 विधायकों, मंत्रियों और दो सांसदों को बुलाया। उन्हें चेतावनी दी गई कि बैठक में शामिल न होने वाले नेता को 'मैतेई का दुश्मन' माना जाएगा। बैठक में मख्यमंत्री को छोड़कर सभी मैतेई विधायक और कैबिनेट मंत्री पहुंचे। अरामबाई टेंगोल को फंडिंग कहां से मिलती है? संगठन के मेंबर ने बताया, ‘इस वक्त मणिपुर में मैतेई की रक्षा करने वाला अरामबाई टेंगोल सबसे बड़ा संगठन है। हमें किसी की फंडिंग की जरूरत नहीं है। हमारे लीडर्स ही फंड जुटाते हैं। अनाज-पानी से लेकर बच्चों की पढ़ाई-शादी तक, संगठन हमारा साथ देता है।’ हथियार कहां से आते हैं? अरामबाई टेंगोल मेंबर ने जवाब दिया, ‘ये बताना मुश्किल है। संगठन में हर किसी का काम बंटा है। कोई यूनिट विलेज वॉलंटियर्स का काम और ट्रेनिंग देखती है। कोई फाइनेंस का काम देखता है। इसी तरह हथियारों का डेटा दूसरी यूनिट रखती है।’ मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद इंफाल और आसपास के पुलिस स्टेशन और सरकारी आर्मरी से करीब 4 हजार हथियार लूटे गए। इनमें इंसास और एके-47 जैसी असॉल्ट राइफल शामिल थीं। मणिपुर पुलिस के मुताबिक, लूटे गए हथियारों से अब तक आधे भी बरामद नहीं हुए हैं। ऑफिशियल डेटा में 1,800 हथियारों की बरामदगी दिखाई गई है। कुकी संगठन इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम का आरोप हैं कि अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन ने ये हथियार लूटे थे। इनका इस्तेमाल हिंसा में हुआ है। संगठन: मैतेई लिपुन लीडर बोले- अपने लोगों को तैयार कर रहे, कुकी पर हमला करेंगे कुकी-जो कम्युनिटी के सबसे बड़े ग्रुप ITLF ने 7 नवंबर को जिरीबाम के जायरॉन गांव में महिला टीचर की हत्या और 17 घर जलाने के पीछे अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि मैतेई लिपुन के लीडर प्रमोद सिंह इसे गलत बताते हैं। प्रमोद सिंह ने दैनिक भास्कर से बातचीत में अपने संगठन और काम के बारे में बताया। सवाल: मैतेई लिपुन कैसे काम करता है, इसका मकसद क्या है? प्रमोद सिंह: मैतेई लिपुन सनातन धर्म को मानता है। हम अपने मैतेई कल्चर को बचाने और बढ़ाने का काम कर रहे हैं। हम 2015 से अपने लोगों, बच्चों, बूढ़ों, महिलाओं को एकजुट कर रहे हैं, ताकि वे किसी बाहरी धर्म और परंपराओं के जाल में न फंसें। अब तक मैतेई लिपुन कुकी हमलों को डिफेंड कर अपने गांवों को बचा रहा था। अब पानी सिर के ऊपर जा चुका है। ये वक्त है, जब हमें उन पर अटैक करना पड़ेगा। कभी भी कुकी हम पर हमला कर सकते हैं। जिरीबाम में जिस तरह से मैतेई महिलाओं को किडनैप करके मारा गया, असम राइफल और पैरामिलिट्री फोर्स चुपचाप खड़ी देखती रही। इसलिए हम अपने लोगों को हिंसा के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार कर रहे हैं। सवाल: आपके संगठन पर जिरीबाम और इंफाल वैली में हिंसा फैलाने के आरोप हैं। क्या आप इसमें शामिल हैं? प्रमोद सिंह: मैतेई समुदाय में एक सिस्टम है 'लालुपकाबरा'। इसका मतलब है कि अगर कोई हमारी जमीनें लूटेगा, तो हर मैतेई उसका बदला लेने के लिए तैयार है। लालुपकाबरा में कहा गया है कि अगर कोई बाहरी हमारे धर्म पर हमला करता है, तो मैतेई हथियार उठाकर उसका सामना करेंगे। इस सेल्फ डिफेंस सिस्टम की शुरुआत ब्रिटिश राज में हुई, जब हमारे समुदाय ने अंग्रेजों से अपनी जमीनों को बचाया था। आज मणिपुर में मैतेई सुरक्षित नहीं हैं। हमारे गांवों पर कुकी कब्जा कर रहे हैं। इसलिए मैतेई लिपुन ने भी 'लालुपकाबरा' सिस्टम को अपनाया है। हम लाइसेंसी गनों की मदद से खुद को हिंसा के खिलाफ तैयार कर रहे हैं। हमारे लोग, वॉलंटियर्स कानून के दायरे में रहकर अपनी जमीनें और लोगों को बचा रहे हैं। सवाल: मैतेई लिपुन के पास कितने विलेज वॉलंटियर्स हैं, इनकी ट्रेनिंग कहां होती है? प्रमोद सिंह: हम मणिपुर राइफल्स और गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट की मदद लेकर वॉलंटियर्स को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं। फिर यही लोग गांवों में जाकर मैतेई लोगों को बचाते हैं। हमारे साथ कितने वॉलंटियर्स हैं, इसका आंकड़ा नहीं दे सकता। मैतेई लिपुन के पास वॉलंटियर्स की भरपूर ताकत है। मैतेई लिपुन के पास पुराने वॉलंटियर्स ही बहुत हैं। इसलिए हमने संगठन में नई भर्ती नहीं की। सवाल: मैतेई लिपुन को मैनेज करने के लिए फंड कहां से आता है? प्रमोद सिंह: मैतेई लिपुन में फंडिंग और सैलरी मॉडल जैसा कुछ नहीं है। संगठन के जिम्मेदार लोग महीने में एक बार इकट्ठा होते हैं, पैसों का कंट्रीब्यूशन होता है। मैतेई लिपुन के साथ आर्थिक रूप से मजबूत कई परिवार जुडे़ हैं, वे हमें सपोर्ट करते हैं। हम न किसी से फंड लेते हैं, न डोनेशन मांगते हैं। सवाल: अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन क्या एक जैसा काम कर रहे हैं? प्रमोद सिंह: पहले अरामबाई टेंगोल के मेंबर लोगों के बीच धार्मिक प्रचार करते थे। उन्हें तीर्थ यात्राओं पर ले जाते थे। हिंसा भड़कने के बाद उन लोगों ने हथियार भी उठाए। फिलहाल, अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन दोनों का लक्ष्य मैतेई कम्युनिटी को बचाना है। अब कुकी समुदाय के संगठनों की बात… ITLF: 2 साल पहले बना, आज कुकी कम्युनिटी का सबसे बड़ा संगठन आखिर में हम राजधानी इंफाल से 60 किलोमीटर दूर चुराचांदपुर जिले में गए। यहां अब मैतेई समुदाय के लोग कम ही बचे हैं। ज्यादातर आबादी कुकी-जो समुदाय की है। यहां कुकी की सिक्योरिटी के लिए इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम यानी ITLF, हमार सुप्रीम हाऊस, जॉइंट फिलैंथ्रोपिक ऑर्गनाइजेशन और कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन KSO जैसे संगठन काम करते हैं। ITLF इनका मेन ऑर्गनाइजेशन है। जिरीबाम के बोरोबेकरा में CRPF से मुठभेड़ के बाद 10 लोगों की मौत हुई थी। पुलिस ने उन्हें कुकी मिलिटेंट बताया था। ITLF ने ही सरकार पर दबाव बनाकर मारे गए लोगों की डेडबॉडी जिरीबाम से चुराचांदपुर मंगाई थी। ITLF के सेक्रेटरी मुआन टोंबिंग एनकाउंटर में मारे गए 10 लोगों को विलेज वॉलंटियर्स मानते हैं। वे कहते हैं कि 11 नवंबर को हमारे वॉलंटियर्स कुकी लोगों को मैतेई मिलिटेंट्स से बचाने के लिए जिरीबाम गए थे। CRPF ने उन्हें मार डाला। हर कुकी परिवार से एक वॉलंटियर बनाने का टारगेट मुआन टोंबिंग कहते हैं, ‘ITLF 9 जून 2022 को कुकी-जो समुदाय की मदद के लिए बनाया गया। मई 2023 के बाद से कुकी लोग अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन के अत्याचार सह रहे हैं। उनकी हिफाजत के लिए हम गांवों में वॉलंटियर्स की टीम मजबूत कर रहे हैं।' 'कुकी समुदाय के लोगों को इंफाल वैली से भगाया गया, उनके घर जलाए गए, ITLF उनके परिवारों को हर तरह से मदद कर रहा है। हमारी कुकी ह्यूमन राइट्स विंग और लीगल विंग है, जो हमारे अधिकारों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ती है।’ ‘केंद्र और राज्य सरकार से सपोर्ट नहीं, इसलिए डोनेशन से जुटा रहे फंड’ हिंसा शुरू होने के बाद राज्य सरकार ने कुकी समुदाय के लिए आखिरी बार 28 अगस्त, 2023 को मदद भेजी थी। तब से ITLF ने कुकी गांवों में रहने वाले लोगों के लिए डोनेशन से फंड इकट्ठा किया है। मुआन टोंबिंग कहते हैं, ‘ITLF ने कई बार केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर कुकी गांवों पर हो रहे हमलों के बारे में बताया। हर बार हमें अनसुना कर दिया गया। सभी को पता है कि अरामबाई टेंगोल, मैतेई लिपुन जैसे संगठनों को राज्य और केंद्र सरकार का सपोर्ट मिलता है। इसे देखते हुए कुकी-जो की सभी ट्राइब्स खुद अपने गांवों को बचाने के लिए आगे आ रही हैं। हम डोनेशन के मॉडल पर लोगों को राहत देने में जुटे हैं।’ ‘केंद्र सरकार ने कुकी और मैतेई के बीच शांति बनाए रखने के लिए पीस कमेटी बनाई थी। उससे भी कुकी ट्राइब्स को दूर रखा गया। कुकी विधायकों को पीस कमेटी की बैठकों में नहीं बुलाया गया। पीस कमेटी सिर्फ नाम भर की रह गई है।’ विलेज वॉलंटियर्स के पास हाईटेक हथियार कहां से आए? मुआन कहते हैं, ‘हमारे पास अरामबाई टेंगोल और मैतेई लिपुन की तरह सरकारी आर्मरी से लूटे हथियार नहीं हैं। हमारी विलेज सिक्योरिटी फोर्स अपनी जमीन की सुरक्षा पुराने हथियारों से करती है।' 'मणिपुर के 12 पहाड़ी जिलों कांगपोकपी, सेनापति, उखरुल, कामजोंग, काकचिंद, तेंगनुपाल, चंदेल, चुराचांदपुर, फेरजॉल, नोनी, जिरीबाम और तामेंगलोंग के हर कुकी गांव में रहने वाले परिवार का एक सदस्य हमारा विलेज वॉलंटियर है। सबके पास ट्रेडिशनल हथियार और बंदूकें हैं।’ मैतेई-कुकी के बीच चल रही लड़ाई कब थमेगी, क्या कोई रास्ता नजर आता है? इस सवाल पर मुआन कहते हैं, ‘मणिपुर में शांति बहाली केंद्र सरकार पर निर्भर है। हमारे लीडर जब भी केंद्र सरकार से मिले, जल्द शांति कायम करने का भरोसा दिया गया, लेकिन कुछ हुआ नहीं।’ ‘मैतेई लोगों ने स्टेट आर्मरी से 4000 हथियार लूटे हैं, उस पर कार्रवाई करने में केंद्र को जरा भी देरी नहीं करनी चाहिए। ये हथियार मैतेई मिलिटेंट्स के पास रहेंगे, वो इनसे हमें निशाना बनाते रहेंगे और ये हिंसा कभी नहीं रुकेगी। इसलिए केंद्र को अपनी मिलिट्री पावर के जरिए लूटे हथियारों का इस्तेमाल खत्म करना होगा, ताकि मणिपुर में फिर से शांति हो।’ स्टूडेंट लीडर बोले- मणिपुर सरकार से भरोसा उठा, केंद्र भी मदद से पीछे हट रहा हिंसा में बेघर हो चुके लोगों के लिए कुकी स्टूडेंट यूनियन KSO स्कूलों में रिलीफ कैंप बना रहा है। संगठन ने लाइब्रेरी, वॉर मेमोरियल और प्लेग्राउंड में डोनेशन के जरिए राहत शिविर बनाए हैं। इंफाल से बेघर होकर चुराचांदपुर पहुंचे कुकी लोग यहीं रह रहे हैं। KSO के वाइस प्रेसिडेंट मांग फोनसाई कहते हैं, ‘पूरे अक्टूबर मणिपुर शांत रहा, लेकिन 7 नवंबर को जिरीबाम में एक कुकी-जो महिला को बेरहमी से मारा गया। एक बार फिर से दोनों कम्युनिटी के बीच हिंसा शुरू हो गई। दोबारा तनाव की स्थिति बनी हुई है, लेकिन केंद्र ने कोई कदम नहीं उठाया।’ मणिपुर हिंसा से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए... 1. फिर सुलगा मणिपुर:एक-दूसरे के गांव जला रहे कुकी-मैतेई मणिपुर फिर सुलग रहा है। विधायकों-मंत्रियों के घरों पर हमले हो रहे हैं। घरों से लोगों को अगवा कर हत्या की जा रही है। इस बार हिंसा का सेंटर जिरीबाम जिला है। यहां 7 नवंबर के बाद से तीन बड़ी घटनाएं हुई हैं। पहले एक महिला टीचर की हत्या की गई। इसके बाद 6 बच्चों और महिलाओं को अगवा करके गोली मार दी गई। पढ़िए पूरी खबर... 2. सैटेलाइट इमेज में देखिए कैसे तबाह हुईं मणिपुर की बस्तियां दैनिक भास्कर ने ये रिपोर्ट मणिपुर में हिंसा के 500 दिन पूरे होने पर की थी। हमने सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों चुराचांदपुर, कांगपोकपी, बिशनुपुर और इंफाल ईस्ट की सैटेलाइट इमेज देखीं। इनमें दिख रहा है कि इन इलाकों में पूरे गांव ही खत्म हो गए हैं। ये फोटो अलग-अलग वक्त पर ली गई हैं। इनसे हिंसा से पहले, हिंसा के दौरान और मौजूदा स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। पढ़िए पूरी खबर...