हेमंत को जेल जाने का फायदा, आदिवासी वोट एकजुट हुए:झारखंड में मंइयां योजना हिट, BJP का बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा फेल

'BJP वाले आदिवासियों को मूर्ख समझते हैं। मेरे साथ चूहा-बिल्ली का खेल खेला गया। जिस दिन से झारखंड में JMM सरकार बनी, अगले दिन से उसे गिराने की कोशिश शुरू हो गई। खबरें चलाई गईं कि हेमंत जेल जाएंगे। मुझे जेल भेज भी दिया। अब क्या फांसी पर लटका देंगे। जितना खून आदिवासियों की धरती पर बहेगा, यहां उतने ही वीर सपूत पैदा होंगे।' 8 सितंबर को पश्चिमी सिंहभूम जिले में गुआ गोलीकांड में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के बाद CM हेमंत सोरेन ने ये बात कही थी। इस एक बयान से उन्होंने दो एजेंडे सेट कर दिए। पहला आदिवासी वोट और दूसरा सिंपैथी कार्ड। झारखंड विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया, तो हेमंत सोरेन की कोशिशों का असर साफ दिखा। हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी JMM और उनके गठबंधन ने सबसे ज्यादा 56 सीटें जीती हैं। लगातार दूसरी बार बहुमत से उनकी सरकार बनेगी। साल 2000 में झारखंड राज्य बनने के बाद ये पहला मौका है, जब कोई सरकार रिपीट हो रही है। आदिवासी बहुल राज्य झारखंड में 81 विधानसभा सीटों पर 13 और 20 नवंबर को वोटिंग हुई थी। यहां JMM+ की जीत के बड़े फैक्टर्स क्या रहे और BJP की स्ट्रैटजी क्यों फेल हुई, दैनिक भास्कर ने इस पर आम लोगों के साथ एक्सपर्ट्स से बात की। इससे ये 5 बातें समझ आईं। 1. जमीन घोटाले में जेल गए हेमंत, लेकिन इसका फायदा मिला 31 जनवरी, 2024 को ED ने जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन को अरेस्ट कर लिया था। वे 140 दिन जेल में रहे। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। जमानत मिलने के बाद फिर CM बने। चुनाव का ऐलान होते ही हेमंत सोरेन ने नारा दिया- ‘जेल का बदला जीत से’। हेमंत संथाल जनजाति से हैं। जेल जाने के बाद उन्होंने अपनी दाढ़ी ऐसे बढ़ाई कि वे कुछ हद तक पिता शिबू सोरेन की तरह दिखने लगे। ऐसे में संथाल-परगना के जो लोग शिबू सोरेन को आज भी पूजते हैं, वे हेमंत से कनेक्ट हो गए। हेमंत सोरेन ही झारखंड में INDIA ब्लॉक के सबसे बड़े चेहरे थे। बरहेट सीट से चुनाव लड़े हेमंत को 39,791 वोट से जीत मिली है। 2. महिलाओं को एक हजार रुपए वाली मंइयां योजना कारगर सोरेन सरकार ने ऐसी योजनाएं शुरू कीं, जिनका फायदा सीधे लोगों को मिला। इनमें सबसे कारगर मंइयां योजना रही। इसके तहत सरकार 21 से 50 साल की महिलाओं को एक हजार रुपए महीना देती है। इसका फायदा 57 लाख महिलाओं को मिल रहा है। आचार संहिता लागू होने से पहले हेमंत सोरेन ने घोषणा कर दी थी कि दिसंबर से ये रकम बढ़कर 2500 रुपए हो जाएगी। इसे कैबिनेट ने मंजूरी भी दे दी। राज्य की 81 में से 68 विधानसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वोटिंग की। इनमें आदिवासियों के लिए रिजर्व सभी 28 सीटें भी शामिल थीं, यानी महिलाओं ने आगे बढ़कर वोट दिए। इसका फायदा हेमंत सोरेन को मिला। BJP ने मंइयां के मुकाबले गोगो दीदी योजना शुरू करने का वादा किया। इसके तहत महिलाओं को 2100 रुपए देने का ऐलान किया गया। हालांकि इसका असर महिला वोटर्स पर नहीं हुआ। इसके अलावा हेमंत सरकार ने हर महीने 200 यूनिट बिजली फ्री कर दी। इससे 40 लाख घरों का बिजली बिल माफ हो गया। किसानों का 2 लाख रुपए का लोन माफ किया। इससे 1.7 लाख किसानों का लगभग 400 करोड़ रुपए का लोन माफ हो गया। अबुआ आवास योजना के तहत गरीबों को घर बनाने के लिए 5 किस्तों में 2 लाख रुपए दिए गए। ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का फायदा भी हेमंत सोरेन को चुनाव में मिला। उन्होंने अपनी योजनाओं का एग्रेसिव प्रचार किया। राज्य में पौने 2 करोड़ लोगों को उनकी योजनाओं का फायदा मिला। 3. आदिवासियों के लिए रिजर्व 28 में 27 सीटें INDIA ब्लॉक के खाते में झारखंड में 28 सीटें ST के लिए रिजर्व हैं। राज्य के 26% आदिवासी वोटर्स तय करते हैं कि सत्ता की कुर्सी पर कौन बैठेगा। 2019 में JMM ने 28 में से 26 सीटें जीती थीं। इस बार 20 सीटों पर BJP और JMM की सीधी लड़ाई थी। BJP ने 2019 के चुनाव से सबक लेकर आरक्षित सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस किया। आदिवासियों के बीच पैठ बनाने के लिए चुनाव से 2 महीने पहले ही ट्राइबल गांवों में डेमोग्राफी चेंज और घुसपैठ का मुद्दा उठाया, लेकिन ये बेअसर ही रहे। JMM ने सरना धर्म कोड को मुद्दा बनाया। संथाल के आदिवासी वोटर्स पर इसका असर हुआ। आदिवासी समुदाय हमेशा से JMM का कोर वोटर रहा है। इस बार भी उनके वोट हेमंत सोरेन की पार्टी को ही मिले। JMM को 28 में से 27 सीटों पर जीत मिली है। 4. BJP ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया, लेकिन फेल हो गई झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ 1971 से जारी है। 1990 से 2015 के दौरान घुसपैठ के सबसे ज्यादा मामले सामने आए। अब स्थिति ये है कि गांव आदिवासियों से खाली हो गए हैं। पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे पाकुड़ जिले के झिकरहटी गांव 2000 से पहले संथाल जनजाति बहुल गांव था। अब यहां आदिवासियों के सरना स्थल (धार्मिक जगह) से ज्यादा मस्जिदें और मदरसे नजर आते हैं। BJP ने इसे मुद्दा बनाया था। पार्टी के लीडर और पूर्व CM चंपाई सोरेन ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कहा था कि झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद बांग्लादेशी घुसपैठ बड़ा मुद्दा है। इस पर कोई पार्टी ध्यान नहीं दे रही है। सिर्फ BJP ही इस पर आवाज उठा रही है। हालांकि रिजल्ट से साफ हो गया कि चुनाव में घुसपैठ के मुद्दे का असर नहीं रहा। 5. BJP ने चंपाई सोरेन को साथ लिया, लेकिन सीटें नहीं जिता पाए आदिवासी वोटर्स को पाले में करने के लिए BJP ने पूर्व CM और JMM में नंबर दो रहे चंपाई सोरेन को अपने साथ जोड़ा था। कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपाई साल 2000 में झारखंड बनने के बाद कभी चुनाव नहीं हारे हैं। वे इस बार भी सरायकेला से चुनाव जीते, लेकिन कोल्हान की 14 सीटों पर BJP को फायदा नहीं दिला पाए। चंपाई सोरेन अपनी सीट तो जीत गए, लेकिन बगल की घाटशिला सीट पर उनके बेटे राम दास सोरेन चुनाव हार गए। 2019 के चुनाव में इन 14 सीटों में से JMM ने 11, कांग्रेस ने 2 और निर्दलीय ने एक सीट जीती थी। इस बार JMM को 10, BJP को 2, कांग्रेस और JDU ने

हेमंत को जेल जाने का फायदा, आदिवासी वोट एकजुट हुए:झारखंड में मंइयां योजना हिट, BJP का बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा फेल
'BJP वाले आदिवासियों को मूर्ख समझते हैं। मेरे साथ चूहा-बिल्ली का खेल खेला गया। जिस दिन से झारखंड में JMM सरकार बनी, अगले दिन से उसे गिराने की कोशिश शुरू हो गई। खबरें चलाई गईं कि हेमंत जेल जाएंगे। मुझे जेल भेज भी दिया। अब क्या फांसी पर लटका देंगे। जितना खून आदिवासियों की धरती पर बहेगा, यहां उतने ही वीर सपूत पैदा होंगे।' 8 सितंबर को पश्चिमी सिंहभूम जिले में गुआ गोलीकांड में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के बाद CM हेमंत सोरेन ने ये बात कही थी। इस एक बयान से उन्होंने दो एजेंडे सेट कर दिए। पहला आदिवासी वोट और दूसरा सिंपैथी कार्ड। झारखंड विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया, तो हेमंत सोरेन की कोशिशों का असर साफ दिखा। हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी JMM और उनके गठबंधन ने सबसे ज्यादा 56 सीटें जीती हैं। लगातार दूसरी बार बहुमत से उनकी सरकार बनेगी। साल 2000 में झारखंड राज्य बनने के बाद ये पहला मौका है, जब कोई सरकार रिपीट हो रही है। आदिवासी बहुल राज्य झारखंड में 81 विधानसभा सीटों पर 13 और 20 नवंबर को वोटिंग हुई थी। यहां JMM+ की जीत के बड़े फैक्टर्स क्या रहे और BJP की स्ट्रैटजी क्यों फेल हुई, दैनिक भास्कर ने इस पर आम लोगों के साथ एक्सपर्ट्स से बात की। इससे ये 5 बातें समझ आईं। 1. जमीन घोटाले में जेल गए हेमंत, लेकिन इसका फायदा मिला 31 जनवरी, 2024 को ED ने जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन को अरेस्ट कर लिया था। वे 140 दिन जेल में रहे। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। जमानत मिलने के बाद फिर CM बने। चुनाव का ऐलान होते ही हेमंत सोरेन ने नारा दिया- ‘जेल का बदला जीत से’। हेमंत संथाल जनजाति से हैं। जेल जाने के बाद उन्होंने अपनी दाढ़ी ऐसे बढ़ाई कि वे कुछ हद तक पिता शिबू सोरेन की तरह दिखने लगे। ऐसे में संथाल-परगना के जो लोग शिबू सोरेन को आज भी पूजते हैं, वे हेमंत से कनेक्ट हो गए। हेमंत सोरेन ही झारखंड में INDIA ब्लॉक के सबसे बड़े चेहरे थे। बरहेट सीट से चुनाव लड़े हेमंत को 39,791 वोट से जीत मिली है। 2. महिलाओं को एक हजार रुपए वाली मंइयां योजना कारगर सोरेन सरकार ने ऐसी योजनाएं शुरू कीं, जिनका फायदा सीधे लोगों को मिला। इनमें सबसे कारगर मंइयां योजना रही। इसके तहत सरकार 21 से 50 साल की महिलाओं को एक हजार रुपए महीना देती है। इसका फायदा 57 लाख महिलाओं को मिल रहा है। आचार संहिता लागू होने से पहले हेमंत सोरेन ने घोषणा कर दी थी कि दिसंबर से ये रकम बढ़कर 2500 रुपए हो जाएगी। इसे कैबिनेट ने मंजूरी भी दे दी। राज्य की 81 में से 68 विधानसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वोटिंग की। इनमें आदिवासियों के लिए रिजर्व सभी 28 सीटें भी शामिल थीं, यानी महिलाओं ने आगे बढ़कर वोट दिए। इसका फायदा हेमंत सोरेन को मिला। BJP ने मंइयां के मुकाबले गोगो दीदी योजना शुरू करने का वादा किया। इसके तहत महिलाओं को 2100 रुपए देने का ऐलान किया गया। हालांकि इसका असर महिला वोटर्स पर नहीं हुआ। इसके अलावा हेमंत सरकार ने हर महीने 200 यूनिट बिजली फ्री कर दी। इससे 40 लाख घरों का बिजली बिल माफ हो गया। किसानों का 2 लाख रुपए का लोन माफ किया। इससे 1.7 लाख किसानों का लगभग 400 करोड़ रुपए का लोन माफ हो गया। अबुआ आवास योजना के तहत गरीबों को घर बनाने के लिए 5 किस्तों में 2 लाख रुपए दिए गए। ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का फायदा भी हेमंत सोरेन को चुनाव में मिला। उन्होंने अपनी योजनाओं का एग्रेसिव प्रचार किया। राज्य में पौने 2 करोड़ लोगों को उनकी योजनाओं का फायदा मिला। 3. आदिवासियों के लिए रिजर्व 28 में 27 सीटें INDIA ब्लॉक के खाते में झारखंड में 28 सीटें ST के लिए रिजर्व हैं। राज्य के 26% आदिवासी वोटर्स तय करते हैं कि सत्ता की कुर्सी पर कौन बैठेगा। 2019 में JMM ने 28 में से 26 सीटें जीती थीं। इस बार 20 सीटों पर BJP और JMM की सीधी लड़ाई थी। BJP ने 2019 के चुनाव से सबक लेकर आरक्षित सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस किया। आदिवासियों के बीच पैठ बनाने के लिए चुनाव से 2 महीने पहले ही ट्राइबल गांवों में डेमोग्राफी चेंज और घुसपैठ का मुद्दा उठाया, लेकिन ये बेअसर ही रहे। JMM ने सरना धर्म कोड को मुद्दा बनाया। संथाल के आदिवासी वोटर्स पर इसका असर हुआ। आदिवासी समुदाय हमेशा से JMM का कोर वोटर रहा है। इस बार भी उनके वोट हेमंत सोरेन की पार्टी को ही मिले। JMM को 28 में से 27 सीटों पर जीत मिली है। 4. BJP ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया, लेकिन फेल हो गई झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ 1971 से जारी है। 1990 से 2015 के दौरान घुसपैठ के सबसे ज्यादा मामले सामने आए। अब स्थिति ये है कि गांव आदिवासियों से खाली हो गए हैं। पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे पाकुड़ जिले के झिकरहटी गांव 2000 से पहले संथाल जनजाति बहुल गांव था। अब यहां आदिवासियों के सरना स्थल (धार्मिक जगह) से ज्यादा मस्जिदें और मदरसे नजर आते हैं। BJP ने इसे मुद्दा बनाया था। पार्टी के लीडर और पूर्व CM चंपाई सोरेन ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कहा था कि झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद बांग्लादेशी घुसपैठ बड़ा मुद्दा है। इस पर कोई पार्टी ध्यान नहीं दे रही है। सिर्फ BJP ही इस पर आवाज उठा रही है। हालांकि रिजल्ट से साफ हो गया कि चुनाव में घुसपैठ के मुद्दे का असर नहीं रहा। 5. BJP ने चंपाई सोरेन को साथ लिया, लेकिन सीटें नहीं जिता पाए आदिवासी वोटर्स को पाले में करने के लिए BJP ने पूर्व CM और JMM में नंबर दो रहे चंपाई सोरेन को अपने साथ जोड़ा था। कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपाई साल 2000 में झारखंड बनने के बाद कभी चुनाव नहीं हारे हैं। वे इस बार भी सरायकेला से चुनाव जीते, लेकिन कोल्हान की 14 सीटों पर BJP को फायदा नहीं दिला पाए। चंपाई सोरेन अपनी सीट तो जीत गए, लेकिन बगल की घाटशिला सीट पर उनके बेटे राम दास सोरेन चुनाव हार गए। 2019 के चुनाव में इन 14 सीटों में से JMM ने 11, कांग्रेस ने 2 और निर्दलीय ने एक सीट जीती थी। इस बार JMM को 10, BJP को 2, कांग्रेस और JDU ने 1-1 सीट मिली है। 2019 के चुनाव में BJP का कोल्हान से सूपड़ा साफ हो गया था। इस बार चुनाव की घोषणा से पहले BJP के नेता कोल्हान साधने में जुट गए थे। चंपाई सोरेन के अलावा कांग्रेस की मजबूत नेता और पूर्व CM मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को पार्टी में शामिल किया। जगन्नाथपुर से गीता कोड़ा खुद चुनाव हार गईं। पोटका से चुनाव लड़ रहीं पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा भी चुनाव हार गईं। ओडिशा के राज्यपाल और राज्य के पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास जमशेदपुर पूर्व से चुनाव जीत गईं। पार्टी ने कोल्हान में 4 पूर्व सीएम को एक-एक सीट की जिम्मेदारी दी थी। पार्टी को इसका फायदा भी नहीं मिला। एक्सपर्ट बोले- मंइयां योजना और कल्पना सोरेन JMM के लिए गेमचेंजर सीनियर जर्नलिस्ट आनंद कुमार कहते हैं, ‘इस चुनाव में JMM ने जो कमाया है, वो है पावरफुल फेस। शिबू सोरेन के बाद JMM के पास पॉपुलर चेहरे की कमी थी, इस बार इसकी भरपाई कल्पना सोरेन ने कर दी है। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की जोड़ी ने BJP की टॉप लीडरशिप से अकेले मुकाबला किया। PM मोदी के बाद सबसे ज्यादा भीड़ कल्पना की रैलियों में ही पहुंची।’ ‘कल्पना ने पूरे चुनाव में महिलाओं के बीच मंइयां सम्मान योजना को जोर-शोर से उठाया। अकेले 100 से ज्यादा सभाएं कीं।' आनंद कुमार कहते हैं... कल्पना ने गांडेय सीट से BJP की मजबूत कैंडिडेट मुनिया देवी को हराकर 5 महीने के अंदर दूसरा चुनाव जीता है। वे यहीं से उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनी थीं। ‘BJP को महंगा पड़ा घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा’ सीनियर जर्नलिस्ट शंभू नाथ चौधरी बताते हैं कि घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज जैसे मुद्दे BJP के लिए बैकफायर कर गए। ‌BJP आदिवासी सीटें जीतने के लिए ये मुद्दे उठा रही थी, वहीं उसे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। रिजर्व 28 सीटों में 27 पर पार्टी हार गई। सिर्फ एक सरायकेला सीट चंपाई सोरेन ने जीती है। पिछले चुनाव में जीती तोरपा और खूंटी भी BJP ने गंवा दी।’ शंभू नाथ चौधरी बताते हैं, ‘BJP ने इस मुद्दे पर एग्रेसिव कैंपेन चलाया। इसका नतीजा ये हुआ कि वोटों का ध्रुवीकरण हो गया। इसका फायदा BJP से ज्यादा हेमंत सोरेन को मिला। ध्रुवीकरण की वजह से मुस्लिम वोट INDIA ब्लॉक को मिले। आदिवासी सेंटिमेंट पहले से ही हेमंत सोरेन के साथ था।’ वहीं, सीनियर जर्नलिस्ट आनंद कुमार कहते हैं, ‘BJP ने पूरे चुनाव में इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम आदिवासी लड़कियों से शादी कर रहे हैं और ये राज्य की बड़ी समस्या है।’ BJP ने हिमंत बिस्वा सरमा को दी चुनाव की कमान, इससे भी नुकसान सीनियर जर्नलिस्ट शंभू नाथ चौधरी बताते है, ’असम के CM हिमंत बिस्वा सरमा को चुनाव की कमान देना BJP की सबसे बड़ी गलती थी। हिमंत लोकल मुद्दे और सेंटिमेंट को नहीं समझ पाए। उन्हें लग रहा था कि वे आक्रामक तरीके से मुद्दे उठाएंगे तो इसका फायदा मिलेगा, लेकिन BJP को इसका नुकसान हुआ।’ ‘झारखंड में स्थानीयता का मुद्दा ज्यादा हावी रहता है। ऐसे में चुनाव की कमान बाहरी को देना BJP के लिए घातक साबित हुआ। हिमंत बिस्वा सरमा को आगे करके BJP ने लोकल कार्यकर्ताओं को भी पार्टी से दूर कर दिया। इससे बेहतर होता कि बाबूलाल मरांडी जैसे लोकल नेता को चुनाव की कमान दी जाती।’ 24 अक्टूबर, 2024 को हिमंत बिस्वा सरमा जमशेदपुर के हुसैनाबाद में थे। यहां उन्होंने कहा, 'हुसैनाबाद बिरसा मुंडा और सिद्धू-कान्हो की धरती है। हुसैनाबाद कहां से आ गया। हमारी सरकार आएगी तो हुसैनाबाद नाम को मां गंगा में अर्पित कर देंगे और ऐसा नाम लेकर आएंगे, जिससे बिरसा मुंडा को श्रद्धा सुमन अर्पित कर सके। हुसैनाबाद वाला नाम आगे नहीं चलने वाला है।' हिमंत बिश्व सरमा का ये दांव नहीं चला और हुसैनाबाद सीट पर RJD को 39 हजार वोट से जीत मिली। एक साल पहले पार्टी बनाने वाले जयराम महतो ने बिगाड़ा NDA का खेल BJP को उम्मीद थी कि वो महतो वोटर्स को अपने साथ जोड़ पाएगी, लेकिन लोकल लीडर जयराम महतो की एक साल पुरानी पार्टी JLKM ने उसका खेल बिगाड़ दिया। पार्टी भले एक सीट जीत गई, लेकिन उसने BJP की सहयोगी आजसू को 5-7 सीटों पर नुकसान पहुंचाया। पिछले चुनाव में 3 सीट जीतने वाली आजसू इस बार एक ही सीट जीत पाई। झारखंड में आजसू और JLKM ने 9 सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा। इनमें गोमिया, सिल्ली, रामगढ़, जुगसलाई, ईचागढ़, डुमरी और मनोहरपुर सीट पर आजसू के उम्मीदवारों की हार के मार्जिन से ज्यादा वोट JLKM के कैंडिडेट को मिले हैं। आखिर में बड़ी सीटों का हाल गैंग्स ऑफ वासेपुर वाली झरिया सीट पर BJP की रागिनी सिंह जीतीं सिंह मैंशन के दबदबे वाली झरिया सीट पर BJP की रागिनी सिंह को जीत मिली है। रागिनी ‘सिंह मैंशन’ के मालिक और पूर्व विधायक सूर्यदेव सिंह की बहू हैं। उन्होंने अपनी देवरानी पूर्णिमा को हराया है। पूर्णिमा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों देवरानी-जेठानी आमने-सामने थीं। तब पूर्णिमा ने रागिनी को हराया था। गांडेय से कल्पना सोरेन की 5 महीने में दूसरी जीत कल्पना सोरेन की वजह से गांडेय सबसे चर्चित सीट बन गई थी। BJP ने उनके खिलाफ गिरिडीह जिला परिषद की अध्यक्ष मुनिया देवी को उतारा था। मुनिया देवी गांडेय की लोकल लीडर हैं। कल्पना 5 महीने पहले उपचुनाव जीतकर इसी सीट से विधायक बनी थीं। BJP ने चुनाव को लोकल Vs आउटसाइडर की लड़ाई बनाने की कोशिश की, लेकिन ये दांव नहीं चला। गांडेय सीट JMM का गढ़ रही है। यहां से उसे 6 बार जीत मिली है। चंपाई सोरेन फिर अजेय, सरायकेला में पहली बार जीती BJP झारखंड बनने के बाद 2005 से सरायकेला सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा रहा। यहां से चंपाई सोरेन JMM के सिंबल पर लगातार चुनाव जीतते रहे। चंपाई ने पहली बार BJP के टिकट पर चुनाव लड़ा। JMM ने उनके खिलाफ BJP के बागी नेता गणेश महाली को टिकट दिया था। सरायकेला में सबसे ज्यादा वोटर्स आदिवासी कम्युनिटी के हैं। अब तक इनकी बड़ी आबादी JMM का साथ देती आई है। चंपाई के पाला बदलने से यहां BJP का कब्जा हो गया। साइबर क्राइम के हब जामताड़ा में कांग्रेस के इरफान अंसारी जीते साइबर क्राइम का गढ़ कहे जाने वाले जामताड़ा में BJP ने शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को उतारा था। उनका मुकाबला कांग्रेस के मौजूदा MLA इरफान अंसारी से था। जामताड़ा में कांग्रेस हमेशा से मजबूत रही है। इरफान अंसारी की सीट पर अच्छी पकड़ है। जामताड़ा में 30.10% मुस्लिम वोटर्स हैं, जिनका वोट कांग्रेस को मिलता आया है। मुस्लिम वोटर्स के बाद यहां 27.12% आदिवासी वोटर्स हैं। इन्हें अपनी तरफ लाने के लिए BJP ने सीता सोरेन को मैदान में उतारा था। ............................... झारखंड चुनाव से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए... 1. झारखंड में सेंधमारी पर फोकस, BJP का घर लुटा झारखंड में BJP का दांव उल्टा पड़ गया है। पार्टी ने नई सीट जीतने पर फोकस किया और 11 नई सीटें जीतीं, लेकिन 15 ऐसी सीटें गंवा दीं, जहां 2019 में जीत मिली थी। दूसरी तरफ हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 30 में से 26 सीटें रिटेन की हैं। इसके अलावा 8 नई सीटें भी जीतीं। कांग्रेस ने 16 में से 11 सीटें बरकरार रखी हैं और 5 नई सीटें भी जीतीं। पढ़िए पूरी खबर... 2. झारखंड में फिर से JMM की सरकार, हेमंत बोले- INDIA ब्लॉक की परफॉर्मेंस अच्छी झारखंड विधानसभा चुनाव के रुझानों में हेमंत सोरेन दोबारा सत्ता में आ गए हैं। 81 सीटों में JMM गठबंधन ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है। यह आंकड़ा बहुमत से 15 सीट ज्यादा है। BJP गठबंधन ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की है। ये बहुमत के आंकड़े से 13 सीट कम है। पढ़िए पूरी खबर...