‘लाडली बहना’ ने सालभर में 8 राज्यों की सरकार बनवाई:89% स्ट्राइक रेट; 1.5 लाख करोड़ की स्कीम्स, फायदा देने वाली पार्टियों के 33% विधायक बढ़े

पॉलिटिकल पार्टियों को जीत का नया और अचूक फॉर्मूला मिल गया है। इसमें हर 10 में से 9 बार जीत की गारंटी है। फॉर्मूला है- चुनाव से पहले महिलाओं के लिए ‘लाडली बहना’ जैसी कैश स्कीम्स। महाराष्ट्र चुनाव ताजा उदाहरण है। 5 महीने पहले लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को 48 में से 18, यानी 37% सीटें मिली थीं। ‘माझी लाडकी बहिन’ योजना लागू कर गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में 288 में से 230, यानी 80% सीटें जीत लीं। एक साल, यानी नवंबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच 13 राज्यों में चुनाव हुए हैं। इनमें 9 में ‘लाडली बहना’ जैसी स्कीम लागू की गई या वादा किया गया। इनमें से 8 राज्यों में योजना कारगर रही। स्ट्राइक रेट 89%। पढ़िये पूरी रिपोर्ट… अब राज्यवार एनालिसिस... महाराष्ट्रः चुनाव से पहले 7500 खाते में पहुंचे, महायुति को 80% सीटें मिलीं 2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र का महायुति गठबंधन सिर्फ 37% सीटें जीत सका। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के एक करीबी नेता बताते हैं कि ‘साहेब' ने कहा हम भी मध्य प्रदेश जैसी लाड़ली बहना योजना लाएंगे। वित्त मंत्री अजित पवार बोले- खजाने में पैसा नहीं है। इसके बावजूद शिंदे अड़े रहे। उन्होंने माझी लाडकी बहिन योजना का ऐलान कर दिया। महिलाओं को मिली बोनस किस्त बीजेपी+ के लिए सीटों में कंवर्ट हो गईः एक्सपर्ट दिव्य मराठी के सीनियर जर्नलिस्ट मनोज कुलकर्णी बताते हैं कि ये योजना महायुति ने बहुत अच्छे से प्लान की थी। इसका फॉर्म बेहद सिंपल था। न पैन नंबर भरना था, न कोई फॉर्म 16 जैसा कुछ। बस फॉर्म भरने वाली महिला को खुद से ये घोषणा करनी थी कि उनके परिवार की सालाना आय ढाई लाख रुपए से कम है। 6% बढ़े हुए महिला वोटरों ने महाराष्ट्र में खेल बदल दिया। वरिष्ठ पत्रकार विनोद जैतमहाल कहते हैं मुंबई और आसपास के जिलों में महिला मतदाताओं में बढ़ोतरी हुई है। अगर हम 2019 से तुलना करें तो ये आंकड़ा मुंबई में 7% बढ़ा हुआ है। ठाणे 11%, पालघर में 9% महिला वोटर में बढ़ोतरी हुई है। झारखंडः वोटिंग से एक रात पहले चौथी किस्त आई, सोरेन की सत्ता में वापसी झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने रक्षाबंधन के एक दिन बाद यानी 20 अगस्त 2024 को मंइयां सम्मान योजना शुरू की थी। ये योजना वोटिंग से 85 दिन पहले शुरू की गई थी। इसके तहत 21 साल से 50 साल तक की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए देने का वादा किया गया। सरकार ने इसका बजट 15 हजार करोड़ रुपए रखा है जो राज्य बजट का करीब 12% है। 10-10 रुपए की तंगी झेल रही आदिवासी महिलाओं के लिए बड़ा सहारा: एक्सपर्ट वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पाल कहते हैं कि बीजेपी ने ज्यादा देने का वादा करके इस योजना को काटने की कोशिश की थी, लेकिन महिलाओं के खाते में चार किस्तें आ चुकी थीं। यहां वादे से ज्यादा महिलाओं ने प्रमाण पर भरोसा किया। दस-दस रुपयों की तंगी झेलने वाली आदिवासी महिलाओं के खाते में सीधे हर महीने हजार रुपए आने लगे तो उनका सरकार पर भरोसा बढ़ गया। वरिष्ठ पत्रकार आनंद दत्ता कहते हैं रोजगार के मसले पर हेमंत सरकार फेल हो चुकी थी। लोगों की इनकम के सोर्स कम थे। ऐसे में हर महीने घर बैठे बिना कुछ किए एक हजार रुपए आना बड़ी बात थी। इस योजना ने महिलाओं का भरोसा जीत लिया। मध्य प्रदेश: चुनाव से 240 दिन पहले 6 किस्तें पहुंचीं, नतीजों में ‘प्रो इन्कम्बेंसी’ दिखी महिलाओं को हर महीने कैश देने की स्कीम की चर्चा मध्य प्रदेश से ही शुरू हुई। 15 मार्च 2023 को चुनाव से 8 महीने पहले शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना लॉन्च किया। 10 जून 2023 को इसकी पहली किस्त जारी हुई थी। चुनाव से पहले कुल 6 किस्तें प्रदेश की लाड़ली बहनों के खाते में पहुंच गई थी। इस योजना ने अलग महिला वोट बैंक की तरफ ध्यान खींचा: एक्सपर्ट दिल्ली यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर अदिति नारायण पासवान के मुताबिक कास्ट और रिलीजन की तरह अब वोटिंग पैटर्न जेंडर के आधार पर शिफ्ट हो गया है। जब आप महिलाओं को कुछ सुविधाएं देते हैं, तो वे घर से निकलकर वोट डालने आती हैं। पहले महिलाओं को उनके पति बताते थे कि उन्हें किसे वोट करना है। 2023 में 15 साल के एंटी इन्कम्बेंसी के बावजूद मध्य प्रदेश में BJP के जीतने की सबसे बड़ी वजह लाड़ली बहना योजना है। छत्तीसगढ़: चुनाव से बीजेपी ने महिलाओं को 1000 रुपए देने का वादा किया, पलट गया खेल 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कमोबेश सभी एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना जताई गई थी। लेकिन नतीजे आए तो बीजेपी ने बाजी पलट दी। दरअसल, BJP ने चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में सीधे 1000 रुपए प्रतिमाह भेजने का वादा किया। इसके लिए फॉर्म भी भरवाने शुरू कर दिए। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल जब तक इस वादे की गंभीरता को समझ पाते देर हो चुकी थी। बघेल ने भी दोबारा से कांग्रेस सरकार बनने पर महिलाओं को सालाना ₹15000 देने का ऐलान किया था। साथ ही महिलाओं के खाते में डायरेक्ट पैसा भेजने के लिए गृह लक्ष्मी योजना शुरू करने का ऐलान किया। महिलाओं ने देखा कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में पैसे मिलने शुरू हो चुके हैं, तो बीजेपी के वादे पर ही भरोसा किया। जो पार्टी सीधे लाभ पहुंचा रही, महिलाएं उसके पक्ष में वोट देने निकल रहींः एक्सपर्ट अर्थशास्त्री अभय तिलक एक इंटरव्यू में बताते हैं कि छत्तीसगढ़ हो या मध्य प्रदेश इन राज्यों में महिलाओं की एक बड़ी संख्या ऐसी है, जिसके पास पैसे कमाने का कोई जरिया नहीं है। परिवार में उनके साथ कभी भी अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था, लेकिन ऐसी योजनाओं से इन महिलाओं को कुछ पैसे मिल रहे हैं और उनके परिवारों में उनकी स्थिति सुधर रही है। यही वजह है कि महिलाएं उनके खाते में सीधे पैसा भेजने वाले राजनीतिक दलों को वोट करने के लिए घर से निकलकर पोलिंग बूथ तक जा रही हैं। राजस्थान: अशोक गहलोत के वादे पर ऐतबार नहीं, कारगर नहीं हुई स्कीम नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले अक्टूबर 2023 में अशोक गहलोत ने राजस्थान के झुंझुन

‘लाडली बहना’ ने सालभर में 8 राज्यों की सरकार बनवाई:89% स्ट्राइक रेट; 1.5 लाख करोड़ की स्कीम्स, फायदा देने वाली पार्टियों के 33% विधायक बढ़े
पॉलिटिकल पार्टियों को जीत का नया और अचूक फॉर्मूला मिल गया है। इसमें हर 10 में से 9 बार जीत की गारंटी है। फॉर्मूला है- चुनाव से पहले महिलाओं के लिए ‘लाडली बहना’ जैसी कैश स्कीम्स। महाराष्ट्र चुनाव ताजा उदाहरण है। 5 महीने पहले लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को 48 में से 18, यानी 37% सीटें मिली थीं। ‘माझी लाडकी बहिन’ योजना लागू कर गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में 288 में से 230, यानी 80% सीटें जीत लीं। एक साल, यानी नवंबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच 13 राज्यों में चुनाव हुए हैं। इनमें 9 में ‘लाडली बहना’ जैसी स्कीम लागू की गई या वादा किया गया। इनमें से 8 राज्यों में योजना कारगर रही। स्ट्राइक रेट 89%। पढ़िये पूरी रिपोर्ट… अब राज्यवार एनालिसिस... महाराष्ट्रः चुनाव से पहले 7500 खाते में पहुंचे, महायुति को 80% सीटें मिलीं 2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र का महायुति गठबंधन सिर्फ 37% सीटें जीत सका। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के एक करीबी नेता बताते हैं कि ‘साहेब' ने कहा हम भी मध्य प्रदेश जैसी लाड़ली बहना योजना लाएंगे। वित्त मंत्री अजित पवार बोले- खजाने में पैसा नहीं है। इसके बावजूद शिंदे अड़े रहे। उन्होंने माझी लाडकी बहिन योजना का ऐलान कर दिया। महिलाओं को मिली बोनस किस्त बीजेपी+ के लिए सीटों में कंवर्ट हो गईः एक्सपर्ट दिव्य मराठी के सीनियर जर्नलिस्ट मनोज कुलकर्णी बताते हैं कि ये योजना महायुति ने बहुत अच्छे से प्लान की थी। इसका फॉर्म बेहद सिंपल था। न पैन नंबर भरना था, न कोई फॉर्म 16 जैसा कुछ। बस फॉर्म भरने वाली महिला को खुद से ये घोषणा करनी थी कि उनके परिवार की सालाना आय ढाई लाख रुपए से कम है। 6% बढ़े हुए महिला वोटरों ने महाराष्ट्र में खेल बदल दिया। वरिष्ठ पत्रकार विनोद जैतमहाल कहते हैं मुंबई और आसपास के जिलों में महिला मतदाताओं में बढ़ोतरी हुई है। अगर हम 2019 से तुलना करें तो ये आंकड़ा मुंबई में 7% बढ़ा हुआ है। ठाणे 11%, पालघर में 9% महिला वोटर में बढ़ोतरी हुई है। झारखंडः वोटिंग से एक रात पहले चौथी किस्त आई, सोरेन की सत्ता में वापसी झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने रक्षाबंधन के एक दिन बाद यानी 20 अगस्त 2024 को मंइयां सम्मान योजना शुरू की थी। ये योजना वोटिंग से 85 दिन पहले शुरू की गई थी। इसके तहत 21 साल से 50 साल तक की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए देने का वादा किया गया। सरकार ने इसका बजट 15 हजार करोड़ रुपए रखा है जो राज्य बजट का करीब 12% है। 10-10 रुपए की तंगी झेल रही आदिवासी महिलाओं के लिए बड़ा सहारा: एक्सपर्ट वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पाल कहते हैं कि बीजेपी ने ज्यादा देने का वादा करके इस योजना को काटने की कोशिश की थी, लेकिन महिलाओं के खाते में चार किस्तें आ चुकी थीं। यहां वादे से ज्यादा महिलाओं ने प्रमाण पर भरोसा किया। दस-दस रुपयों की तंगी झेलने वाली आदिवासी महिलाओं के खाते में सीधे हर महीने हजार रुपए आने लगे तो उनका सरकार पर भरोसा बढ़ गया। वरिष्ठ पत्रकार आनंद दत्ता कहते हैं रोजगार के मसले पर हेमंत सरकार फेल हो चुकी थी। लोगों की इनकम के सोर्स कम थे। ऐसे में हर महीने घर बैठे बिना कुछ किए एक हजार रुपए आना बड़ी बात थी। इस योजना ने महिलाओं का भरोसा जीत लिया। मध्य प्रदेश: चुनाव से 240 दिन पहले 6 किस्तें पहुंचीं, नतीजों में ‘प्रो इन्कम्बेंसी’ दिखी महिलाओं को हर महीने कैश देने की स्कीम की चर्चा मध्य प्रदेश से ही शुरू हुई। 15 मार्च 2023 को चुनाव से 8 महीने पहले शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना लॉन्च किया। 10 जून 2023 को इसकी पहली किस्त जारी हुई थी। चुनाव से पहले कुल 6 किस्तें प्रदेश की लाड़ली बहनों के खाते में पहुंच गई थी। इस योजना ने अलग महिला वोट बैंक की तरफ ध्यान खींचा: एक्सपर्ट दिल्ली यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर अदिति नारायण पासवान के मुताबिक कास्ट और रिलीजन की तरह अब वोटिंग पैटर्न जेंडर के आधार पर शिफ्ट हो गया है। जब आप महिलाओं को कुछ सुविधाएं देते हैं, तो वे घर से निकलकर वोट डालने आती हैं। पहले महिलाओं को उनके पति बताते थे कि उन्हें किसे वोट करना है। 2023 में 15 साल के एंटी इन्कम्बेंसी के बावजूद मध्य प्रदेश में BJP के जीतने की सबसे बड़ी वजह लाड़ली बहना योजना है। छत्तीसगढ़: चुनाव से बीजेपी ने महिलाओं को 1000 रुपए देने का वादा किया, पलट गया खेल 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कमोबेश सभी एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना जताई गई थी। लेकिन नतीजे आए तो बीजेपी ने बाजी पलट दी। दरअसल, BJP ने चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में सीधे 1000 रुपए प्रतिमाह भेजने का वादा किया। इसके लिए फॉर्म भी भरवाने शुरू कर दिए। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल जब तक इस वादे की गंभीरता को समझ पाते देर हो चुकी थी। बघेल ने भी दोबारा से कांग्रेस सरकार बनने पर महिलाओं को सालाना ₹15000 देने का ऐलान किया था। साथ ही महिलाओं के खाते में डायरेक्ट पैसा भेजने के लिए गृह लक्ष्मी योजना शुरू करने का ऐलान किया। महिलाओं ने देखा कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में पैसे मिलने शुरू हो चुके हैं, तो बीजेपी के वादे पर ही भरोसा किया। जो पार्टी सीधे लाभ पहुंचा रही, महिलाएं उसके पक्ष में वोट देने निकल रहींः एक्सपर्ट अर्थशास्त्री अभय तिलक एक इंटरव्यू में बताते हैं कि छत्तीसगढ़ हो या मध्य प्रदेश इन राज्यों में महिलाओं की एक बड़ी संख्या ऐसी है, जिसके पास पैसे कमाने का कोई जरिया नहीं है। परिवार में उनके साथ कभी भी अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था, लेकिन ऐसी योजनाओं से इन महिलाओं को कुछ पैसे मिल रहे हैं और उनके परिवारों में उनकी स्थिति सुधर रही है। यही वजह है कि महिलाएं उनके खाते में सीधे पैसा भेजने वाले राजनीतिक दलों को वोट करने के लिए घर से निकलकर पोलिंग बूथ तक जा रही हैं। राजस्थान: अशोक गहलोत के वादे पर ऐतबार नहीं, कारगर नहीं हुई स्कीम नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले अक्टूबर 2023 में अशोक गहलोत ने राजस्थान के झुंझुनू में गृह लक्ष्मी गारंटी के तहत परिवार की महिला मुखिया को साल में 10 हजार रुपए देने का वादा किया। उन्होंने कहा कि ये राशि दो से तीन किश्तों में दी जाएगी। कांग्रेस ने इस वादे का चुनाव प्रचार के दौरान खूब इस्तेमाल किया। महिलाओं के खाते में पैसे भेजने के सिर्फ वादे किए। चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में पैसा नहीं पहुंच पाया। BJP ने अपने घोषणा पत्र में अशोक गहलोत के वादे के बरक्श महिलाओं और लड़कियों से जुड़ी तीन मुख्य योजनाएं लाडो प्रोत्साहन योजना, लखपति दीदी योजना और पीएम मातृ वंदना योजना शुरू करने का वादा की। महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई, राज्य में कांग्रेस की सरकार गिर गईं। स्कीम लागू न करना सीएम गहलोत के खिलाफ गयाः एक्सपर्ट पॉलिटिकल एक्सपर्ट अनिल भारद्वाज का कहना है कि राजस्थान में अशोक गहलोत ने महिलाओं को हर साल 10 हजार रुपए देने का वादा किया था। हालांकि, महिलाओं को लगा कि सत्ता में रहते हुए जो सरकार महिलाओं के लिए ये योजना नहीं लागू कर पाई वो चुनाव जीतने के बाद लागू करेगी इसकी गारंटी नहीं है। ऐसे में महिलाओं ने खुलकर कांग्रेस का साथ नहीं दिया और राजस्थान में सरकार पलट गई। इसी तरह हरियाणा, तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में महिलाओं से जुड़ी कैश स्कीम एक बड़ा फैक्टर साबित हुई… महिलाओं की कैश स्कीम जीत का फॉर्मूला क्यों है; 4 पॉइंट्स में समझते हैं… 1. पैसों की इतनी तंगी कि कैश हजार-दो हजार भी बड़ी राहत इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, ‘देश में प्रति व्यक्ति आय करीब एक लाख रुपए सालाना है। यानी करीब 8500 रुपए महीने। अगर किसी परिवार में महिलाओं को दो हजार रुपए महीने मिल रहे हैं तो ये उस परिवार की कमाई में 25% की ग्रोथ है। इसके लिए न तो कुछ करना है और न ही किसी को घूस देनी है। एक सिंपल फॉर्म भरना है, जिसके बाद सीधे खाते में पैसे आने लगते हैं।’ दिल्ली की अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर अभय कुमार दुबे बताते हैं, 1500 रुपए महीने का मतलब हुआ रोजाना महज 50 रुपए। इससे पता चलता है कि भारत के ज्यादातर वोटर्स कितने गरीब हैं कि इतनी छोटी रकम से भी वे राहत महसूस करते हैं। 2. सालों से अनदेखी झेल रही महिलाएं एक नया वोटबैंक बनी अमिताभ तिवारी मानते हैं कि ऐसी योजनाओं के कारण महिलाओं को बढ़ावा मिला है। वे कहते हैं, लंबे समय से महिलाओं को अनदेखा किया जा रहा था, आज उन्हें अहमियत मिली है। अब महिलाएं परिवारों में अपनी बात मजबूत से कह पा रही हैं। इससे महिलाओं का वोटिंग पैटर्न भी बदला है। 3. बीजेपी ने ‘महिला वोटबैंक’ को पहचाना, इससे सत्ता विरोधी रुझान को मात दी बीते एक साल में जिन 9 राज्यों में ‘लाडली बहना’ जैसा फैक्टर था, उनमें से 7 राज्यों में बीजेपी या NDA को फायदा मिला। केंद्र से लेकर राज्यों तक बीजेपी ने महिलाओं को पहचान देने के कई कदम उठाए… अमिताभ तिवारी कहते हैं, महिलाएं एक वोटबैंक बन चुकी हैं। ये ऐसा वोटबैंक है, जिसके पैटर्न को कोई नहीं पकड़ पा रहा। ये चुपचाप बूथ में जाती हैं और अपनी सरकार को चुनती हैं। उसे प्रचंड बहुमत दिलाती हैं। चुनावों में महिलाओं पर फोकस्ड स्कीम के गेमचेंजर होने पर अभय दुबे कहते हैं, यह दौर ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ नहीं, बल्कि ‘प्रो-इनकम्बेंसी’ का है। सत्ता में कदम जमा चुकी पार्टियों का तख्ता पलटना मुश्किल होता जा रहा है। महाराष्ट्र- झारखंड में यही हुआ, हालांकि यह मॉडल हमेशा ही कारगर नहीं होता है। 4. आगे क्याः जब तक योजनाएं नई, तभी तक पार्टियों को फायदा अमिताभ तिवारी बताते हैं, भारत में आज इतनी असमानता बढ़ी है कि ऐसी योजनाएं लानी पड़ रही हैं। ऐसा करने से पार्टियां अगर सरकार बना पा रही हैं तो वे ऐसा आगे भी कर सकती है। पार्टियों ने सीधा फॉर्मूला बना लिया है कि पैसा बांटने की योजनाएं लाओ और चुनाव जीतो। अभय कुमार दुबे कहते हैं, ‘कैश ट्रांसफर जैसी योजनाएं जब तक नई होती है, तब तक वोटों में तब्दील होती रहती हैं, क्योंकि लाभार्थी मदद देने वाली सरकारी पार्टी का आभार मानते हैं। जब योजना पुरानी हो जाती है तो वे उस तत्परता से बदले में वोट नहीं देते। लोकसभा चुनाव और 2022 में यूपी चुनाव में बीजेपी इस मुश्किल का सामना कर चुकी है।’ --------------------- चुनाव से जुड़ी ये एक्सप्लेनर्स भी पढ़िए... कांग्रेस 63 से 15, बीजेपी 79 से 133 पहुंची: महाराष्ट्र चुनाव में किनारे लगे उद्धव और शरद; लोकसभा के बाद बाजी पलटने वाले 5 फैक्टर्स महाराष्ट्र में बीजेपी का अश्वमेध यज्ञ पूरा हुआ। 1990 में बाल ठाकरे की शिवसेना के साथ छोटे भाई की हैसियत से 42 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने अकेले 133 सीटें जीत ली है। वहीं, बालासाहेब के बेटे उद्धव की शिवसेना सिर्फ 20 सीटों पर सिमट गई है। पूरी खबर पढ़िए... सेंधमारी पर फोकस से अपना घर कैसे लुटा बैठी बीजेपी: 11 नई सीटें जीती, 14 मौजूदा हार गई; न चंपाई चले, न बंटेंगे-कटेंगे झारखंड में बीजेपी ने नई सीट जीतने पर फोकस किया और 11 नई सीटें जीतीं, लेकिन 14 ऐसी सीटें गंवा दीं, जहां 2019 में जीत मिली थी। दूसरी तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 30 में से 25 सीटें रिटेन की हैं। इसके अलावा 8 नई सीटें भी जीती। कांग्रेस ने 16 में से 11 सीटें बरकरार रखी हैं और 5 नई सीटें भी जीतीं। झारखंड के नतीजों में ये एक डिसाइडिंग फैक्टर रहा। पढ़िए पूरी खबर...