पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:अपने प्रयासों और स्वभाव को जोड़कर आगे बढि़ए

अपना भोजन आप ही चबाना पड़ता है। जब भी आप कोई बड़ा काम करें, अपने प्रयासों और स्वभाव को जोड़कर चलिए। क्योंकि हमारे कर्म में यदि हमारा स्वभाव ठीक से नहीं जुड़ा तो यही स्वभाव बाधा बन जाएगा। आदत बनती है दुनियादारी के नियम-कायदों से। लेकिन स्वभाव तैयार होता है परमात्मा पर भरोसा करने से। इसलिए जब भी कोई काम करें, यह बात अपने दिमाग में बैठाएं कि करना हमको ही है, लेकिन ऊपर कोई शक्ति बैठी है जो हमसे करवा रही है। अब ये तो जरूरी नहीं है कि हर काम पर सफलता मिल जाए। लेकिन यदि हम इस तरह से करेंगे कि अपने स्वभाव और कर्म को जोड़ेंगे तो यदि किसी कारण से असफलता भी मिली तो हम उससे निराश नहीं होंगे, थकेंगे नहीं। क्योंकि असफलता पर वो ही लोग थकते हैं, जिनका मैं प्रबल होता है, जो कर्म में अहंकार को जोड़कर चलते हैं। लेकिन जो लोग इसमें परमात्मा का हस्तक्षेप देखते हैं, वो पुन: सफलता के लिए आसानी से तैयार हो जाते हैं।

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:अपने प्रयासों और स्वभाव को जोड़कर आगे बढि़ए
अपना भोजन आप ही चबाना पड़ता है। जब भी आप कोई बड़ा काम करें, अपने प्रयासों और स्वभाव को जोड़कर चलिए। क्योंकि हमारे कर्म में यदि हमारा स्वभाव ठीक से नहीं जुड़ा तो यही स्वभाव बाधा बन जाएगा। आदत बनती है दुनियादारी के नियम-कायदों से। लेकिन स्वभाव तैयार होता है परमात्मा पर भरोसा करने से। इसलिए जब भी कोई काम करें, यह बात अपने दिमाग में बैठाएं कि करना हमको ही है, लेकिन ऊपर कोई शक्ति बैठी है जो हमसे करवा रही है। अब ये तो जरूरी नहीं है कि हर काम पर सफलता मिल जाए। लेकिन यदि हम इस तरह से करेंगे कि अपने स्वभाव और कर्म को जोड़ेंगे तो यदि किसी कारण से असफलता भी मिली तो हम उससे निराश नहीं होंगे, थकेंगे नहीं। क्योंकि असफलता पर वो ही लोग थकते हैं, जिनका मैं प्रबल होता है, जो कर्म में अहंकार को जोड़कर चलते हैं। लेकिन जो लोग इसमें परमात्मा का हस्तक्षेप देखते हैं, वो पुन: सफलता के लिए आसानी से तैयार हो जाते हैं।