आज का एक्सप्लेनर:क्या भगदड़ से हुई मौतें छिपाने में लगी रही सरकार, रेलवे की इन 3 बड़ी गलतियों से मारे गए 18 लोग
आज का एक्सप्लेनर:क्या भगदड़ से हुई मौतें छिपाने में लगी रही सरकार, रेलवे की इन 3 बड़ी गलतियों से मारे गए 18 लोग
15 फरवरी की शाम 6 बजे से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भीड़ देखकर लोग भगदड़ की आशंका जताने लगे थे। फिर भी काउंटर से हर घंटे प्रयागराज के 1500 टिकट बेचे जाते रहे। 9.30 बजते-बजते प्लेटफॉर्म पर चीख-पुकार मच गई, लेकिन नॉर्दर्न रेलवे भगदड़ को अफवाह बताता रहा। रात 11.36 बजे रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सब कुछ कंट्रोल में हैं, जबकि दो घंटे पहले ही अस्पताल में लाशें पहुंचने लगी थीं। रेलवे की किन 3 बड़ी गलतियों से बेमौत मारे गए 18 लोग और क्या सरकार इसे छिपाने में लगी रही; आज के एक्सप्लेनर में जानेंगे दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ का पूरा सच... रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 फरवरी की शाम नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज के लिए या वहां से होकर जाने वाली 5 ट्रेनें शेड्यूल थीं- 1. प्रयागराज एक्सप्रेस
2. प्रयागराज स्पेशल ट्रेन
3. मगध एक्सप्रेस
4. स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस
5. भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस इनमें 3 ट्रेनें अपने तय समय से देरी से चल रही थीं। इसलिए उनके यात्री भी प्लेटफॉर्म पर इंतजार कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक प्लेटफॉर्म पहले से भरे हुए थे। शुरुआती जांच में सामने आया कि इतनी भीड़ के बावजूद काउंटर से हर घंटे प्रयागराज के करीब 1500 टिकट बेचे जा रहे थे। इस वजह से प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। खड़े होने तक की जगह नहीं बची। कहां हुआ ब्लंडर: प्रयागराज एक्सप्रेस ट्रेन में जनरल के कुल 2 कोच थे। यानी इनमें अधिकतम 250 यात्री आ सकते थे। स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में जनरल के बजाय 4 सेकेंड सीटिंग अनारक्षित कोच थे, जिनमें 400 पैसेंजर्स आ सकते थे। मगध एक्सप्रेस में जनरल के 2 डिब्बों में 250 यात्री आ सकते थे। भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में जनरल डिब्बा नहीं होता है। यानी प्रयागराज के लिए शेड्यूल सभी ट्रेनों में करीब 900 जनरल या अनारक्षित टिकट वाले यात्री यात्रा कर सकते थे। ऐसे में सवाल उठता है कि रेलवे के अधिकारियों ने प्रयागराज के लिए हर घंटे 1500 जनरल टिकट क्यों जारी किए? बीते 2 वीकेंड से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज जाने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ रही थी। 15 फरवरी को शनिवार यानी वीकेंड था। यानी भीड़ बढ़ने का अंदेशा था। घटना के वक्त नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद भारतीय वायुसेना के जवान अजीत ने बताया, 'मुझे इस घटना की आशंका शाम को ही हो गई थी, क्योंकि मुझे नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन से निकलने में एक घंटे लगे, जो कि दो मिनट का काम है।' रेलवे स्टेशन पर मौजूद कुली सुगन लाल मीणा बताते हैं कि मैं पिछले 46 सालों से कुली का काम कर रहा। एक साथ मैंने स्टेशन पर इतनी भीड़ कभी नहीं देखी। इसके बावजूद मौके पर मौजूद वीडियोज और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इक्का-दुक्का सुरक्षाकर्मी दिख रहे थे। इतनी बड़ी भीड़ को कंट्रोल करना 1-2 व्यक्ति के बस की बात नहीं थी। कहां हुआ ब्लंडर: रेलवे प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए कोई रणनीति नहीं बनाई। न ही पर्याप्त RPF जवानों की तैनाती की गई। DCP रेलवे केपीएस मल्होत्रा ने ANI को बताया कि जब प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी थी, तो बहुत सारे यात्री ट्रेन में चढ़ने का इंतजार कर रहे थे। वहीं, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी देरी से चल रही थीं और इन ट्रेनों के यात्री भी प्लेटफॉर्म 12, 13 और 14 पर मौजूद थे। रेलवे पुलिस ने अपने बयान में कहा कि प्लेटफॉर्म पर आने वाली 2 ट्रेनों का नाम एक जैसा था- प्रयागराज एक्सप्रेस और प्रयागराज स्पेशल। जैसे ही अनाउंस हुआ कि प्रयागराज स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म 16 से चलेगी तो महाकुंभ जाने वाले यात्रियों के बीच कंफ्यूजन की स्थिति बन गई। कुछ यात्रियों को लगा कि ट्रेन 14 की जगह 16 नंबर प्लेटफॉर्म पर आ रही है। अंतिम समय हुई अफरातफरी की वजह से भगदड़ मच गई। न्यूज एजेंसी ANI को एक प्रत्यक्षदर्शी हीरालाल महतो ने बताया, ‘जब यह घोषणा हुई कि प्लेटफॉर्म नंबर 12 पर आने वाली ट्रेन प्लेटफॉर्म 16 पर आएगी, तो इसके बाद दोनों तरफ से लोग आने लगे। ऐसे में भगदड़ मच गई।’ कहां हुआ ब्लंडर: स्टेशन पर भारी भीड़ थी, तभी स्पेशल ट्रेन की घोषणा हुई। जानकारी स्पष्ट तौर पर यात्रियों तक नहीं पहुंच पाई। फिर जब एक प्लेटफॉर्म से दूसरे की तरफ जाते समय फुट ओवर ब्रिज पर अफरा-तफरी मची तो उसे कंट्रोल करने के लिए व्यवस्थाएं नहीं थीं। भगदड़ में अपनी बहन को खो चुके संजय सिंह ने IANS को बताया कि हादसा प्रशासन की लापरवाही की वजह से हुआ है। भीड़ को मैनेज करने के लिए पुलिस और रेलवे की तरफ से कोई नहीं था। इस भगदड़ पर नॉर्दर्न रेलवे का ऑफिशियल वर्जन क्या है? उत्तर रेलवे के प्रवक्ता हिमांशु उपाध्याय ने बताया, जिस समय यह दुखद घटना घटी, उस वक्त प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर पटना की ओर जाने वाली मगध एक्सप्रेस और प्लेटफॉर्म नंबर 15 पर जम्मू की तरफ जाने वाली उत्तर संक्रांति एक्सप्रेस खड़ी थी। इस दौरान फुट ओवर ब्रिज से 14 नंबर और 15 नंबर प्लेटफॉर्म की तरफ आने वाली सीढ़ियों पर यात्रियों के फिसलकर गिरने से उनके पीछे के कई यात्री इसकी चपेट में आ गए और यह दुखद घटना हुई। क्या देर रात तक सरकार भगदड़ को छिपाने की कोशिश करती रही?
अभी तक की रिपोर्ट और चश्मदीदों के मुताबिक शनिवार रात 9.26 बजे भगदड़ मची। 10.30 बजे तक अस्पताल में बॉडी पहुंचने लगी थीं, लेकिन सरकार और प्रशासन 3 घंटे तक इसे छिपाने की कोशिश करता रहा… नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भगदड़ में हुई 18 लोगों की मौत के बाद कांग्रेस, TMC समेत विपक्षी दलों ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांगा है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि रेल मंत्री को इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए। TMC की राज्यसभा सांसद उपनेता सागरिका घोष ने X पर लिखा, पहले मोदी सरकार ने भगदड़ से इनकार किया। फिर इसे अफवाह बताया। फिर कहा कि कुछ लोग घायल हुए हैं। जब शव मिलने लगे, तब मजबूरी में मौतों को स्वीकार क
15 फरवरी की शाम 6 बजे से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भीड़ देखकर लोग भगदड़ की आशंका जताने लगे थे। फिर भी काउंटर से हर घंटे प्रयागराज के 1500 टिकट बेचे जाते रहे। 9.30 बजते-बजते प्लेटफॉर्म पर चीख-पुकार मच गई, लेकिन नॉर्दर्न रेलवे भगदड़ को अफवाह बताता रहा। रात 11.36 बजे रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सब कुछ कंट्रोल में हैं, जबकि दो घंटे पहले ही अस्पताल में लाशें पहुंचने लगी थीं। रेलवे की किन 3 बड़ी गलतियों से बेमौत मारे गए 18 लोग और क्या सरकार इसे छिपाने में लगी रही; आज के एक्सप्लेनर में जानेंगे दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ का पूरा सच... रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 फरवरी की शाम नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज के लिए या वहां से होकर जाने वाली 5 ट्रेनें शेड्यूल थीं- 1. प्रयागराज एक्सप्रेस
2. प्रयागराज स्पेशल ट्रेन
3. मगध एक्सप्रेस
4. स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस
5. भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस इनमें 3 ट्रेनें अपने तय समय से देरी से चल रही थीं। इसलिए उनके यात्री भी प्लेटफॉर्म पर इंतजार कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक प्लेटफॉर्म पहले से भरे हुए थे। शुरुआती जांच में सामने आया कि इतनी भीड़ के बावजूद काउंटर से हर घंटे प्रयागराज के करीब 1500 टिकट बेचे जा रहे थे। इस वजह से प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। खड़े होने तक की जगह नहीं बची। कहां हुआ ब्लंडर: प्रयागराज एक्सप्रेस ट्रेन में जनरल के कुल 2 कोच थे। यानी इनमें अधिकतम 250 यात्री आ सकते थे। स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में जनरल के बजाय 4 सेकेंड सीटिंग अनारक्षित कोच थे, जिनमें 400 पैसेंजर्स आ सकते थे। मगध एक्सप्रेस में जनरल के 2 डिब्बों में 250 यात्री आ सकते थे। भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में जनरल डिब्बा नहीं होता है। यानी प्रयागराज के लिए शेड्यूल सभी ट्रेनों में करीब 900 जनरल या अनारक्षित टिकट वाले यात्री यात्रा कर सकते थे। ऐसे में सवाल उठता है कि रेलवे के अधिकारियों ने प्रयागराज के लिए हर घंटे 1500 जनरल टिकट क्यों जारी किए? बीते 2 वीकेंड से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज जाने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ रही थी। 15 फरवरी को शनिवार यानी वीकेंड था। यानी भीड़ बढ़ने का अंदेशा था। घटना के वक्त नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद भारतीय वायुसेना के जवान अजीत ने बताया, 'मुझे इस घटना की आशंका शाम को ही हो गई थी, क्योंकि मुझे नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन से निकलने में एक घंटे लगे, जो कि दो मिनट का काम है।' रेलवे स्टेशन पर मौजूद कुली सुगन लाल मीणा बताते हैं कि मैं पिछले 46 सालों से कुली का काम कर रहा। एक साथ मैंने स्टेशन पर इतनी भीड़ कभी नहीं देखी। इसके बावजूद मौके पर मौजूद वीडियोज और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इक्का-दुक्का सुरक्षाकर्मी दिख रहे थे। इतनी बड़ी भीड़ को कंट्रोल करना 1-2 व्यक्ति के बस की बात नहीं थी। कहां हुआ ब्लंडर: रेलवे प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए कोई रणनीति नहीं बनाई। न ही पर्याप्त RPF जवानों की तैनाती की गई। DCP रेलवे केपीएस मल्होत्रा ने ANI को बताया कि जब प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी थी, तो बहुत सारे यात्री ट्रेन में चढ़ने का इंतजार कर रहे थे। वहीं, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी देरी से चल रही थीं और इन ट्रेनों के यात्री भी प्लेटफॉर्म 12, 13 और 14 पर मौजूद थे। रेलवे पुलिस ने अपने बयान में कहा कि प्लेटफॉर्म पर आने वाली 2 ट्रेनों का नाम एक जैसा था- प्रयागराज एक्सप्रेस और प्रयागराज स्पेशल। जैसे ही अनाउंस हुआ कि प्रयागराज स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म 16 से चलेगी तो महाकुंभ जाने वाले यात्रियों के बीच कंफ्यूजन की स्थिति बन गई। कुछ यात्रियों को लगा कि ट्रेन 14 की जगह 16 नंबर प्लेटफॉर्म पर आ रही है। अंतिम समय हुई अफरातफरी की वजह से भगदड़ मच गई। न्यूज एजेंसी ANI को एक प्रत्यक्षदर्शी हीरालाल महतो ने बताया, ‘जब यह घोषणा हुई कि प्लेटफॉर्म नंबर 12 पर आने वाली ट्रेन प्लेटफॉर्म 16 पर आएगी, तो इसके बाद दोनों तरफ से लोग आने लगे। ऐसे में भगदड़ मच गई।’ कहां हुआ ब्लंडर: स्टेशन पर भारी भीड़ थी, तभी स्पेशल ट्रेन की घोषणा हुई। जानकारी स्पष्ट तौर पर यात्रियों तक नहीं पहुंच पाई। फिर जब एक प्लेटफॉर्म से दूसरे की तरफ जाते समय फुट ओवर ब्रिज पर अफरा-तफरी मची तो उसे कंट्रोल करने के लिए व्यवस्थाएं नहीं थीं। भगदड़ में अपनी बहन को खो चुके संजय सिंह ने IANS को बताया कि हादसा प्रशासन की लापरवाही की वजह से हुआ है। भीड़ को मैनेज करने के लिए पुलिस और रेलवे की तरफ से कोई नहीं था। इस भगदड़ पर नॉर्दर्न रेलवे का ऑफिशियल वर्जन क्या है? उत्तर रेलवे के प्रवक्ता हिमांशु उपाध्याय ने बताया, जिस समय यह दुखद घटना घटी, उस वक्त प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर पटना की ओर जाने वाली मगध एक्सप्रेस और प्लेटफॉर्म नंबर 15 पर जम्मू की तरफ जाने वाली उत्तर संक्रांति एक्सप्रेस खड़ी थी। इस दौरान फुट ओवर ब्रिज से 14 नंबर और 15 नंबर प्लेटफॉर्म की तरफ आने वाली सीढ़ियों पर यात्रियों के फिसलकर गिरने से उनके पीछे के कई यात्री इसकी चपेट में आ गए और यह दुखद घटना हुई। क्या देर रात तक सरकार भगदड़ को छिपाने की कोशिश करती रही?
अभी तक की रिपोर्ट और चश्मदीदों के मुताबिक शनिवार रात 9.26 बजे भगदड़ मची। 10.30 बजे तक अस्पताल में बॉडी पहुंचने लगी थीं, लेकिन सरकार और प्रशासन 3 घंटे तक इसे छिपाने की कोशिश करता रहा… नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भगदड़ में हुई 18 लोगों की मौत के बाद कांग्रेस, TMC समेत विपक्षी दलों ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांगा है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि रेल मंत्री को इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए। TMC की राज्यसभा सांसद उपनेता सागरिका घोष ने X पर लिखा, पहले मोदी सरकार ने भगदड़ से इनकार किया। फिर इसे अफवाह बताया। फिर कहा कि कुछ लोग घायल हुए हैं। जब शव मिलने लगे, तब मजबूरी में मौतों को स्वीकार किया गया। -------------- भगदड़ से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें दिल्ली भगदड़- अस्पताल से पूरी रात की आंखों देखी:पहचान के लिए परिजन को लाशें नहीं, फोटो दिखाए; पीड़ित बोला- पुलिस ने रोने-चिल्लाने से रोका नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने के करीब 2 घंटे बाद रात करीब साढ़े 11 बजे दैनिक भास्कर की टीम लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल (LNJP) पहुंची। अस्पताल के गेट नंबर-4 से सायरन बजाते हुए केवल एम्बुलेंस की ही एंट्री हो रही थी। सामने की ओर चारों तरफ बैरिकेड्स लगाकर दिल्ली पुलिस की तैनाती थी। यहां से मीडिया की एंट्री पूरी तरह बैन कर रखा था, न सिर्फ मीडिया बल्कि इस गेट से मरीजों की भी एंट्री बंद थी। पूरी खबर पढ़ें...