SC का निर्देश- सेक्सुअल हैरेसमेंट पर राज्य कंप्लेंट कमेटी बनाएं:कहा- POSH एक्ट लागू हुए सालों बीते, इसका पालन नहीं होना चिंताजनक
SC का निर्देश- सेक्सुअल हैरेसमेंट पर राज्य कंप्लेंट कमेटी बनाएं:कहा- POSH एक्ट लागू हुए सालों बीते, इसका पालन नहीं होना चिंताजनक
सभी राज्य वर्क-प्लेस पर महिलाओं को सेक्शुअल हैरेसमेंट से बचाने के लिए इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) बनाएं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने गोवा यूनिवर्सिटी के एक पूर्व प्रोफेसर की याचिका पर मंगलवार को यह निर्देश दिया। बेंच ने कहा कि, ' महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रिवेंशन ऑफ सेक्शुअल हैरेसमेंट एक्ट (PoSH) 2013 में आया था। इतने वक्त बाद भी इसे लागू करने में इतनी गंभीर खामियां मिलना चिंताजनक है। ऐसा होना बहुत ही ज्यादा दुखद है, क्योंकि इसका राज्यों की कार्यशैली, पब्लिक अथॉरिटी और पब्लिक संस्थानों पर खराब असर पड़ता है।' दरअसल, याचिकाकर्ता ऑरेलियानो फर्नांडीस ने पूछा- सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 के एक आदेश में केंद्र और राज्य सरकारों से एक वैरिफिकेशन के लिए बोला था। इसमें कहा गया था कि क्या वर्कप्लेस पर सेक्शुअल हैरेसमेंट के आरोपों की जांच के लिए सभी मंत्रालयों और विभागों में पैनल बनाए गए हैं या नहीं। याचिकाकर्ता ऑरेलियानो फर्नांडीस पर गोवा यूनिवर्सिटी में सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप है। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने उन्हें नौकरी से हटा दिया था और भविष्य में दोबारा कभी काम पर न रखने कहा था। उन्होंने इसे बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी यूनिवर्सिटी के फैसले को सही बताया। इसके बाद फर्नांडीस ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जांच की प्रक्रिया में चूक हुई। इसलिए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को रद्द किया जाता है। .................................................. सुप्रीम कोर्ट से जुड़ीं अन्य खबरें... सुप्रीम कोर्ट बोला- चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना अपराध: मद्रास हाईकोर्ट का फैसला पलटा; कहा- अदालतें इस शब्द का इस्तेमाल भी न करें सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है। सीजेआई वाली तीन जस्टिस की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैसला सुनाया था। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई ऐसा कंटेंट डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो। पूरी खबर पढ़ें... बच्चों से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामले में समझौता नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को किया रद्द, आरोपी शिक्षक के खिलाफ फिर से चलेगा मामला सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि बच्चों के यौन शोषण से जुड़े मामले को पक्षकारों के बीच हुए आपसी समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता हैं। जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस संजय कुमार की बैंच ने राजस्थान हाई कोर्ट के 4 फरवरी 2022 के उस आदेश को भी गलत मानते हुए रद्द कर दिया हैं। जिसमें हाई कोर्ट ने नाबालिग छात्रा के परिवार और आरोपी शिक्षक के बीच हुए आपसी समझौते के आधार पर शिक्षक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था। पूरी खबर पढ़ें...
सभी राज्य वर्क-प्लेस पर महिलाओं को सेक्शुअल हैरेसमेंट से बचाने के लिए इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) बनाएं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने गोवा यूनिवर्सिटी के एक पूर्व प्रोफेसर की याचिका पर मंगलवार को यह निर्देश दिया। बेंच ने कहा कि, ' महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रिवेंशन ऑफ सेक्शुअल हैरेसमेंट एक्ट (PoSH) 2013 में आया था। इतने वक्त बाद भी इसे लागू करने में इतनी गंभीर खामियां मिलना चिंताजनक है। ऐसा होना बहुत ही ज्यादा दुखद है, क्योंकि इसका राज्यों की कार्यशैली, पब्लिक अथॉरिटी और पब्लिक संस्थानों पर खराब असर पड़ता है।' दरअसल, याचिकाकर्ता ऑरेलियानो फर्नांडीस ने पूछा- सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 के एक आदेश में केंद्र और राज्य सरकारों से एक वैरिफिकेशन के लिए बोला था। इसमें कहा गया था कि क्या वर्कप्लेस पर सेक्शुअल हैरेसमेंट के आरोपों की जांच के लिए सभी मंत्रालयों और विभागों में पैनल बनाए गए हैं या नहीं। याचिकाकर्ता ऑरेलियानो फर्नांडीस पर गोवा यूनिवर्सिटी में सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप है। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने उन्हें नौकरी से हटा दिया था और भविष्य में दोबारा कभी काम पर न रखने कहा था। उन्होंने इसे बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी यूनिवर्सिटी के फैसले को सही बताया। इसके बाद फर्नांडीस ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जांच की प्रक्रिया में चूक हुई। इसलिए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को रद्द किया जाता है। .................................................. सुप्रीम कोर्ट से जुड़ीं अन्य खबरें... सुप्रीम कोर्ट बोला- चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना अपराध: मद्रास हाईकोर्ट का फैसला पलटा; कहा- अदालतें इस शब्द का इस्तेमाल भी न करें सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है। सीजेआई वाली तीन जस्टिस की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैसला सुनाया था। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई ऐसा कंटेंट डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो। पूरी खबर पढ़ें... बच्चों से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामले में समझौता नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को किया रद्द, आरोपी शिक्षक के खिलाफ फिर से चलेगा मामला सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि बच्चों के यौन शोषण से जुड़े मामले को पक्षकारों के बीच हुए आपसी समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता हैं। जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस संजय कुमार की बैंच ने राजस्थान हाई कोर्ट के 4 फरवरी 2022 के उस आदेश को भी गलत मानते हुए रद्द कर दिया हैं। जिसमें हाई कोर्ट ने नाबालिग छात्रा के परिवार और आरोपी शिक्षक के बीच हुए आपसी समझौते के आधार पर शिक्षक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था। पूरी खबर पढ़ें...