आज का एक्सप्लेनर:शराब ठेकेदारों को छूट से 144 करोड़ और लाइसेंस में देरी से 1831 करोड़ का घाटा; क्या CAG रिपोर्ट से फंसेंगे केजरीवाल
आज का एक्सप्लेनर:शराब ठेकेदारों को छूट से 144 करोड़ और लाइसेंस में देरी से 1831 करोड़ का घाटा; क्या CAG रिपोर्ट से फंसेंगे केजरीवाल
दिल्ली विधानसभा का सत्र शुरू हुआ तो दूसरे ही दिन यानी 25 फरवरी को दिल्ली की CM रेखा गुप्ता ने शराब नीति पर CAG रिपोर्ट पेश की। LG वीके सक्सेना ने कहा कि पिछली सरकार ने रिपोर्ट को रोककर संविधान का खुलेआम उल्लंघन किया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नई शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2002 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। CAG रिपोर्ट में क्या कहा गया है, क्या ये रिपोर्ट केजरीवाल के लिए नई मुसीबत बनेगी और इससे BJP को क्या फायदा होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: दिल्ली विधानसभा में AAP सरकार के खिलाफ पेश की गई CAG रिपोर्ट क्या है?
जवाब: 25 फरवरी को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछली AAP सरकार के खिलाफ विधानसभा में 208 पेज की CAG की रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में 2017 से 2021 तक दिल्ली की शराब पॉलिसी से हुए नुकसान का खुलासा किया गया। रिपोर्ट में 2017 से 2022 के बीच शराब के रेगुलेशन और सप्लाई की जांच की गई। 2021-22 की दिल्ली की आबकारी नीति की भी समीक्षा की गई। सवाल-2: दिल्ली शराब नीति को लेकर CAG रिपोर्ट में क्या कहा गया?
जवाब: रिपोर्ट के मुताबिक, नई शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2002.68 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। एक्सपर्ट पैनल ने पॉलिसी में कुछ बदलाव के सुझाव दिए थे, जिन्हें तब के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था। AAP सरकार की शराब नीति कमजोर थी और शराब के लाइसेंस देने की प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई थी। CAG रिपोर्ट की 10 बड़ी बातें पॉइंट्स में समझिए… सवाल-3: दिल्ली शराब नीति से 2 हजार करोड़ रुपए का घाटा कैसे हुआ?
जवाब: CAG रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन AAP सरकार ने नई शराब नीति से जुड़े बड़े फैसलों में अपनी मर्जी चलाई। इन फैसलों में उपराज्यपाल की सलाह नहीं ली। 4 बड़ी वजहों से दिल्ली सरकार को 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का घाटा हुआ… सवाल-4: क्या आप सरकार के खिलाफ और भी CAG रिपोर्ट्स आना बाकी हैं?
जवाब: नई शराब नीति के अलावा तत्कालीन आप सरकार के खिलाफ 13 अन्य CAG रिपोर्ट्स आना बाकी हैं… सवाल-5: तत्कालीन आप सरकार के खिलाफ CAG रिपोर्ट्स लाने से BJP को क्या फायदा होगा?
जवाब: दिल्ली के सीनियर जर्नलिस्ट सुशील कुमार सिंह कहते हैं, ‘AAP की अपनी कोई विचारधारा नहीं है। वो दिल्ली की जनता को काम करके दिखाने का वादा करके सत्ता में आई थी। अब AAP की हार के बाद BJP अपनी जीत को पूरी तरह स्थापित करना चाहती है। अभी भी AAP के पास दिल्ली में 42% वोट हैं। BJP जानती है कि AAP से ही उसकी टक्कर है, इसलिए BJP उसे पूरी तरह खत्म करना चाहती है।’ सुशील कुमार सिंह ने आगे कहा, अप्रैल के पहले हफ्ते में दिल्ली में मेयर का चुनाव है, इससे पहले ही AAP के कई पार्षद BJP जॉइन करेंगे। पंजाब में भी बहुत कुछ होने लगा है, भगवंत मान को घेरा जा रहा है। हो सकता है इस CAG रिपोर्ट के आने के बाद AAP के कुछ लोग फिर से जेल भेज दिए जाएं। सवाल-6: क्या CAG रिपोर्ट्स के आधार पर अरविंद केजरीवाल को दोबारा जेल होगी?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में गया था, तब जजों ने रिपोर्ट पेश करने में विफल होने पर केजरीवाल सरकार की आलोचना की थी। अब CAG रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली के उप-राज्यपाल और केंद्रीय गृह मंत्रालय केजरीवाल सरकार की कथित गड़बड़ियों की जांच एंटी करप्शन ब्रांच या CBI से कराने के लिए आदेश जारी कर सकते हैं। विराग गुप्ता बताते हैं, ‘जांच के दौरान केजरीवाल और उनकी सरकार के मंत्रियों और अफसरों के बयान भी दर्ज होंगे। उनके आधार पर चार्जशीट दायर की जा सकती है। शराब घोटाले के मामले में केजरीवाल और जिनकी गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है, उन्हें अब CAG रिपोर्ट के आधार पर दोबारा गिरफ्तार करना कानूनन उचित नहीं है, लेकिन CAG रिपोर्ट में दर्ज सबूतों के आधार पर मामले में आरोपियों को सजा मिलने की संभावना बढ़ सकती है।’ सवाल-7: आखिर CAG और इसकी रिपोर्ट होती क्या है?
जवाब: संविधान में सरकारी खर्च का लेखा-जोखा और उसकी निगरानी के लिए एक सरकारी एजेंसी बनाने का प्रावधान है। इसे इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स सर्विस यानी भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा कहते हैं। इसके मुखिया ‘भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ होते हैं। इन्हें इंग्लिश में ‘कॉम्प्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया’ यानी CAG कहते हैं। संविधान के आर्टिकल 148 के तहत CAG को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की ही तरह पद पर नियुक्त किया और हटाया जा सकता है। आर्टिकल 149, 150 और 151 में CAG के काम और शक्तियों के बारे में जिक्र है। CAG सभी सरकारी संस्थाओं का ऑडिट कर उसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति के जरिए संसद या विधानसभा के पटल पर रखती है। इस ऑडिट के जरिए CAG सरकारी विभागों के कामकाज और खर्च की निगरानी करती है। सवाल-8: क्या CAG रिपोर्ट के कारण सरकारों या मंत्रियों को नुकसान हुआ है?
जवाब: हां, कई ऐसे मौके आए हैं जब CAG रिपोर्ट के कारण सरकारें गिर गईं, मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा, जेल तक जाना पड़ा। CAG रिपोर्ट से जुड़े कुछ किस्से… 1. सरकारी खर्च पर निजी यात्रा की, गुजरात CM केशुभाई की कुर्सी गई
सितंबर 2001 में गुजरात को लेकर आई CAG की एक रिपोर्ट में कहा गया कि गुजरात के तत्कालीन CM केशुभाई पटेल बेवजह ब्रिटेन, अमेरिका, नीदरलैंड्स और बेल्जियम की यात्रा पर गए। 11 जून 1999 को सीएम पटेल ने तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी को पत्र लिखकर बताया था कि वह निजी खर्च पर यात्रा करेंगे, लेकिन 17 जून को इसे आधिकारिक यात्रा घोषित करने का अनुरोध किया। इस रिपोर्ट के बाद केशुभाई पटेल की मीडिया टीम ने CAG के खिलाफ ही एक विज्ञापन निकलवा दिया था कि CM निवेश लाने गए थे, लेकिन CAG ने लोगों को गुमराह किया है। एक साल बाद गुजरात में विधानसभा चुनाव था। आनन-फानन में BJP के नेताओं की बैठक हुई, जिसमें केशुभाई पटेल को हटाने पर सहमति बनी। 6 अक्टूबर 2001 को CM पटेल के इस्तीफा देने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात के सीएम बने। 2. 2-G स्पे
दिल्ली विधानसभा का सत्र शुरू हुआ तो दूसरे ही दिन यानी 25 फरवरी को दिल्ली की CM रेखा गुप्ता ने शराब नीति पर CAG रिपोर्ट पेश की। LG वीके सक्सेना ने कहा कि पिछली सरकार ने रिपोर्ट को रोककर संविधान का खुलेआम उल्लंघन किया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नई शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2002 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। CAG रिपोर्ट में क्या कहा गया है, क्या ये रिपोर्ट केजरीवाल के लिए नई मुसीबत बनेगी और इससे BJP को क्या फायदा होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: दिल्ली विधानसभा में AAP सरकार के खिलाफ पेश की गई CAG रिपोर्ट क्या है?
जवाब: 25 फरवरी को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछली AAP सरकार के खिलाफ विधानसभा में 208 पेज की CAG की रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में 2017 से 2021 तक दिल्ली की शराब पॉलिसी से हुए नुकसान का खुलासा किया गया। रिपोर्ट में 2017 से 2022 के बीच शराब के रेगुलेशन और सप्लाई की जांच की गई। 2021-22 की दिल्ली की आबकारी नीति की भी समीक्षा की गई। सवाल-2: दिल्ली शराब नीति को लेकर CAG रिपोर्ट में क्या कहा गया?
जवाब: रिपोर्ट के मुताबिक, नई शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2002.68 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। एक्सपर्ट पैनल ने पॉलिसी में कुछ बदलाव के सुझाव दिए थे, जिन्हें तब के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था। AAP सरकार की शराब नीति कमजोर थी और शराब के लाइसेंस देने की प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई थी। CAG रिपोर्ट की 10 बड़ी बातें पॉइंट्स में समझिए… सवाल-3: दिल्ली शराब नीति से 2 हजार करोड़ रुपए का घाटा कैसे हुआ?
जवाब: CAG रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन AAP सरकार ने नई शराब नीति से जुड़े बड़े फैसलों में अपनी मर्जी चलाई। इन फैसलों में उपराज्यपाल की सलाह नहीं ली। 4 बड़ी वजहों से दिल्ली सरकार को 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का घाटा हुआ… सवाल-4: क्या आप सरकार के खिलाफ और भी CAG रिपोर्ट्स आना बाकी हैं?
जवाब: नई शराब नीति के अलावा तत्कालीन आप सरकार के खिलाफ 13 अन्य CAG रिपोर्ट्स आना बाकी हैं… सवाल-5: तत्कालीन आप सरकार के खिलाफ CAG रिपोर्ट्स लाने से BJP को क्या फायदा होगा?
जवाब: दिल्ली के सीनियर जर्नलिस्ट सुशील कुमार सिंह कहते हैं, ‘AAP की अपनी कोई विचारधारा नहीं है। वो दिल्ली की जनता को काम करके दिखाने का वादा करके सत्ता में आई थी। अब AAP की हार के बाद BJP अपनी जीत को पूरी तरह स्थापित करना चाहती है। अभी भी AAP के पास दिल्ली में 42% वोट हैं। BJP जानती है कि AAP से ही उसकी टक्कर है, इसलिए BJP उसे पूरी तरह खत्म करना चाहती है।’ सुशील कुमार सिंह ने आगे कहा, अप्रैल के पहले हफ्ते में दिल्ली में मेयर का चुनाव है, इससे पहले ही AAP के कई पार्षद BJP जॉइन करेंगे। पंजाब में भी बहुत कुछ होने लगा है, भगवंत मान को घेरा जा रहा है। हो सकता है इस CAG रिपोर्ट के आने के बाद AAP के कुछ लोग फिर से जेल भेज दिए जाएं। सवाल-6: क्या CAG रिपोर्ट्स के आधार पर अरविंद केजरीवाल को दोबारा जेल होगी?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में गया था, तब जजों ने रिपोर्ट पेश करने में विफल होने पर केजरीवाल सरकार की आलोचना की थी। अब CAG रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली के उप-राज्यपाल और केंद्रीय गृह मंत्रालय केजरीवाल सरकार की कथित गड़बड़ियों की जांच एंटी करप्शन ब्रांच या CBI से कराने के लिए आदेश जारी कर सकते हैं। विराग गुप्ता बताते हैं, ‘जांच के दौरान केजरीवाल और उनकी सरकार के मंत्रियों और अफसरों के बयान भी दर्ज होंगे। उनके आधार पर चार्जशीट दायर की जा सकती है। शराब घोटाले के मामले में केजरीवाल और जिनकी गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है, उन्हें अब CAG रिपोर्ट के आधार पर दोबारा गिरफ्तार करना कानूनन उचित नहीं है, लेकिन CAG रिपोर्ट में दर्ज सबूतों के आधार पर मामले में आरोपियों को सजा मिलने की संभावना बढ़ सकती है।’ सवाल-7: आखिर CAG और इसकी रिपोर्ट होती क्या है?
जवाब: संविधान में सरकारी खर्च का लेखा-जोखा और उसकी निगरानी के लिए एक सरकारी एजेंसी बनाने का प्रावधान है। इसे इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स सर्विस यानी भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा कहते हैं। इसके मुखिया ‘भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ होते हैं। इन्हें इंग्लिश में ‘कॉम्प्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया’ यानी CAG कहते हैं। संविधान के आर्टिकल 148 के तहत CAG को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की ही तरह पद पर नियुक्त किया और हटाया जा सकता है। आर्टिकल 149, 150 और 151 में CAG के काम और शक्तियों के बारे में जिक्र है। CAG सभी सरकारी संस्थाओं का ऑडिट कर उसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति के जरिए संसद या विधानसभा के पटल पर रखती है। इस ऑडिट के जरिए CAG सरकारी विभागों के कामकाज और खर्च की निगरानी करती है। सवाल-8: क्या CAG रिपोर्ट के कारण सरकारों या मंत्रियों को नुकसान हुआ है?
जवाब: हां, कई ऐसे मौके आए हैं जब CAG रिपोर्ट के कारण सरकारें गिर गईं, मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा, जेल तक जाना पड़ा। CAG रिपोर्ट से जुड़े कुछ किस्से… 1. सरकारी खर्च पर निजी यात्रा की, गुजरात CM केशुभाई की कुर्सी गई
सितंबर 2001 में गुजरात को लेकर आई CAG की एक रिपोर्ट में कहा गया कि गुजरात के तत्कालीन CM केशुभाई पटेल बेवजह ब्रिटेन, अमेरिका, नीदरलैंड्स और बेल्जियम की यात्रा पर गए। 11 जून 1999 को सीएम पटेल ने तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी को पत्र लिखकर बताया था कि वह निजी खर्च पर यात्रा करेंगे, लेकिन 17 जून को इसे आधिकारिक यात्रा घोषित करने का अनुरोध किया। इस रिपोर्ट के बाद केशुभाई पटेल की मीडिया टीम ने CAG के खिलाफ ही एक विज्ञापन निकलवा दिया था कि CM निवेश लाने गए थे, लेकिन CAG ने लोगों को गुमराह किया है। एक साल बाद गुजरात में विधानसभा चुनाव था। आनन-फानन में BJP के नेताओं की बैठक हुई, जिसमें केशुभाई पटेल को हटाने पर सहमति बनी। 6 अक्टूबर 2001 को CM पटेल के इस्तीफा देने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात के सीएम बने। 2. 2-G स्पेक्ट्रम मामले में केंद्रीय मंत्री ए राजा जेल गए
2010 में CAG ने टेलिकॉम कंपनियों को 2-G स्पेक्ट्रम के आवंटन को लेकर रिपोर्ट पेश की। इसमें कहा गया कि कंपनियों को नीलामी के बजाय 'पहले आओ, पहले पाओ' की नीति के तहत स्पेक्ट्रम दे दिया गया, जिससे सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। नवंबर 2010 में टेलिकॉम मंत्री ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा और फरवरी 2011 में उन्हें CBI ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। ए राजा को करीब 15 महीने बाद जमानत मिली थी। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके कार्यकाल में दिए गए सभी टेलिकॉम लाइसेंस रद्द कर दिए। हालांकि दिसंबर 2017 में पटियाला हाउस कोर्ट ने इस कथित घोटाले के मामले में ए राजा समेत सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। 3. केजरीवाल ने शीला दीक्षित पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए
अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित की कांग्रेस सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार को बनाया था। 2010 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में कथित भ्रष्टाचार को लेकर केजरीवाल ने CAG रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि रिपोर्ट में 90 करोड़ रुपए के स्ट्रीट लाइटिंग प्रोजेक्ट में गड़बड़ी हुई। सीएम बनने के बाद केजरीवाल ने दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) को शीला दीक्षित के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। 2013 से 2015 के बीच हुए दिल्ली के दोनों विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने CAG रिपोर्ट को '370 पन्नों का सबूत' बताया और कहा कि यह शीला सरकार की नाकामियों और भ्रष्टाचार को उजागर करती है। -------------- अरविंद केजरीवाल से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें दिल्ली छोड़ेंगे केजरीवाल, आतिशी को जिम्मेदारी मिलेगी: पंजाब-गुजरात में पार्टी मजबूत करेंगे, करप्शन से बिगड़ी इमेज सुधारने पर फोकस AAP के दिल्ली संयोजक गोपाल राय विधानसभा चुनाव में हार से मायूस हैं, लेकिन उन्हें इत्मीनान है कि पार्टी का बड़ा वोट बैंक अब भी साथ है। दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद आम आदमी पार्टी हार की समीक्षा कर रही है। पार्टी को लगता है कि अब संगठन के लेवल पर सर्जरी की जरूरत है। पूरी खबर पढ़ें...